नि:शुल्क सेवाओं के वादे संबंधी याचिकाओं को तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए: न्यायालय
सुप्रीम कोर्ट (Photo Credits: Wikimedia Commons)

नयी दिल्ली, 26 अगस्त : उच्चतम न्यायालय ने राजनीतिक दलों द्वारा नि:शुल्क सेवाएं देने का वादा करने का मुद्दा उठाने वाली याचिकाओं को तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किए जाने का शुक्रवार को आदेश दिया. प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि उसके समक्ष तर्क रखा गया कि एस सुब्रमण्यम बालाजी बनाम तमिलनाडु सरकार एवं अन्य के मामले में शीर्ष अदालत के दो-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा दिए गए 2013 के फैसले पर पुनर्विचार की आवश्यकता है.

पीठ ने कहा, ‘‘इसमें शामिल मुद्दों की जटिलताओं एवं सुब्रमण्यम बालाजी मामले में इस अदालत के दो न्यायाधीशों की पीठ द्वारा दिए गए फैसले को रद्द करने के अनुरोध को देखते हुए, हम याचिकाओं के इस समूह को प्रधान न्यायाधीश का आदेश मिलने के बाद तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश देते हैं.’’ यह भी पढ़ें : Haryana: अंबाला में एक ही परिवार के छह सदस्य घर में पाए गए मृत

शीर्ष अदालत ने कहा कि चार सप्ताह बाद इन याचिकाओं को सूचीबद्ध किया जाएगा. न्यायालय ने 2013 के अपने फैसले में कहा था कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 में निर्धारित मापदंडों की समीक्षा करने और उन पर विचार करने के बाद, वह इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादों को भ्रष्ट आचरण घोषित करने के लिए धारा 123 के तहत नहीं पढ़ा जा सकता.