नयी दिल्ली, 10 अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को नफरत भरे भाषण का मुद्दा उठाने वाले एक याचिकाकर्ता से कहा कि वह जांच के दौरान उठाए गये कदमों समेत विशेष घटनाओं का ब्योरा दे।
प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित और न्यायमूर्ति एसआर भट ने कहा, ‘‘ शायद आपका यह कहना सही है कि नफरत भरे भाषणों के परिणामस्वरूप पूरा माहौल खराब हो रहा है और शायद आपके पास यह कहने के लिए उचित आधार है कि इस पर अंकुश लगाने की जरूरत है।’’
लेकिन न्यायाल ने कहा कि किसी मामले का संज्ञान लेने के लिए एक तथ्यात्मक आधार होना चाहिए।
हालांकि, अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता एक या दो मामलों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।
पीठ ने कहा, ‘‘यह बहुत मनमानी याचिका है, इसमें 58 घटनाओं का जिक्र है जिसमें किसी ने नफरत भरा भाषण दिया।’’
अदालत ने कहा कि उसे नहीं मालूम कि अपराध विशेष का ब्योरा क्या है, इसकी स्थिति क्या है, इसमें कौन लोग शामिल हैं और कोई आपराधिक मामला दर्ज किया गया है या नहीं।
पीठ ने याचिकाकर्ता एच मनसुखानी को समय देते हुए एक अतिरिक्त हलफनामा दायर करने को कहा जो कुछ चुनिंदा घटनाओं पर केंद्रित हो। पीठ ने कहा कि इस हलफनामे में जिस अपराध को लेकर सवाल किया गया है उसका ब्योरा देने के साथ जांच के दौरान यदि कोई कदम उठाया गया है तो उसके बारे में भी बताएं।
न्यायालय ने इस मामले में हलफनामा दायर करने के लिए 31 अक्टूबर तक का समय दिया। इस मामले की अगली सुनवाई एक नवंबर को होगी।
याचिकाकर्ता ने अल्पसंख्यक समुदाय को लक्ष्य करने के लिए दिये गये नफरत भरे भाषण का मुद्दा उठाया और आरोप लगाया कि इन दिनों इस तरह का भाषण ‘लाभ देने वाला कारोबार’ बन गया है।
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