पटना, 24 अगस्त : बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेताओं के मालिकाना हक वाले परिसरों पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की छापेमारी के पीछे कोई षड्यंत्र होने का बुधवार को आरोप लगाया. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने केंद्रीय रेल मंत्री के रूप में लालू प्रसाद के कार्यकाल के दौरान हुए भूखंड के बदले नौकरी संबंधी कथित घोटाले को लेकर गुरुग्राम स्थित एक निर्माणाधीन मॉल समेत 25 स्थलों पर बुधवार को छापे मारे. ऐसा माना जाता है कि बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के मालिकाना हक वाली एक कंपनी इस मॉल का निर्माण कर रही है. यह छापेमारी ऐसे समय में की गई, जब कुछ ही घंटों बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करना है. बिहार विधानसभा के विशेष सत्र में भाग लेने पहुंचीं पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने कहा, ‘‘नई सरकार के गठन से भाजपा डर गयी है. केंद्रीय एजेंसी की छापेमारी से हम डरने वाले नहीं है. बिहार की जनता सब देख रही है.’’
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) (जदयू) के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, ‘‘मैं इस मामले के गुण एवं दोष पर टिप्पणी नहीं करना चाहता, लेकिन सीबीआई के छापे जिस समय मारे गए, वह इस बात का स्पष्ट संकेत देते हैं कि जांच एजेंसी भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) की मदद करने की कोशिश कर रही हैं.’’ कुमार ने हाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ नाता तोड़कर राजद के साथ हाथ मिलाया है. अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली, गुरुग्राम, पटना, मधुबनी एवं कटिहार समेत अन्य जगहों पर छापेमारी की गई. उन्होंने बताया कि विधान परिषद सदस्य सुनील सिंह, राज्य सभा के सदस्यों अशफाक करीम एवं फैयाज अहमद और विधान परिषद के पूर्व सदस्य सुबोध राय समेत राजद के कई वरिष्ठ नेताओं के परिसरों में छापे मारे जा रहे हैं. सिंह ने अपने आवास ‘राजवंशी नगर’ अपार्टमेंट के छज्जे से संवाददाताओं से चिल्लाते हुए कहा, ‘‘यह स्पष्ट रूप से धमकाने के लिए किया गया है. छापेमारी आज क्यों की जा रही है? हमें स्थानीय पुलिस भी नहीं दिख रही, जो छापेमारी के दौरान सीबीआई के साथ आमतौर पर होती है.’’ यह भी पढ़ें : ओडिशा में सांप, गिरगिट रखने के आरोप में यूट्यूबर गिरफ्तार
सिंह बिहार राज्य सहकारी संघ के अध्यक्ष भी हैं और सीबीआई अधिकारियों के एक दल ने लगभग पांच किलोमीटर दूर गांधी मैदान के पास उनके कार्यालय में भी छापेमारी की. बिहार विधानसभा के इस विशेष सत्र में भाग लेने पहुंचे जनता दल (यूनाइटेड) (जदयू), राजद, कांग्रेस और वाम दलों सहित कुल सात दलों के महागठबंधन के विधायकों ने इसे ‘‘लोकतंत्र की हत्या’’ बताते हुए इसके विरोध में नारे लगाए. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेलिनवादी) (भाकपा-माले) के विधायक संदीप सौरव ने विधानसभा के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह छापेमारी स्पष्ट रूप से दिखाती है कि भाजपा ने संवैधानिक औचित्य को हवा में उड़ा दिया है. केंद्र और कई राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी (भाजपा) के किसी भी नेता के खिलाफ कोई छापेमारी नहीं होती.’’ इस बीच, भाजपा नेताओं ने अपने पूर्व सहयोगी नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने न केवल भाजपा से नाता तोड़ा, बल्कि राजद और कांग्रेस जैसे ‘‘भ्रष्ट’’ दलों के साथ गठबंधन किया.
भाजपा नेता एवं पूर्व मंत्री प्रमोद कुमार ने कहा, ‘‘राजद ही पैसे के ढेर पर बैठी है और इसीलिए उसके नेताओं को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. नीतीश कुमार ने बिहार पर शासन करने के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को मिले जनादेश से न केवल विश्वासघात किया, बल्कि भ्रष्टाचारियों के साथ गठजोड़ भी किया.’’ अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने 2008-09 में मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर एवं हाजीपुर के रेलवे जोन में नौकरी पाने वाले 12 लोगों के अलावा राजद सुप्रीमो, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और उनकी बेटियों मीसा भारती और हेमा यादव को इस मामले में नामजद किया है. केंद्रीय एजेंसी ने 23 सितंबर, 2021 को जमीन के बदले रेलवे में नौकरी देने संबंधी घोटाले को लेकर प्राथमिकी दर्ज की थी.