नयी दिल्ली, सात जून राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख और पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर चीनी निर्यात की मौजूदा सीमा में 10 लाख टन की वृद्धि करने का अनुरोध किया है।
पिछले महीने सरकार ने अक्टूबर और नवंबर के त्योहारी सत्र के दौरान चीनी की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने और कीमतों को काबू में रखने के लिए सितंबर में समाप्त होने वाले चालू विपणन वर्ष में एक करोड़ टन तक चीनी निर्यात की सीमा तय की थी। चालू विपणन वर्ष में चीनी मिलों ने पहले ही करीब 80 लाख टन चीनी का निर्यात कर दिया है।
भारत ने विपणन वर्ष 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) में रिकॉर्ड 70 लाख टन चीनी का निर्यात किया था।
नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज (एनएफसीएसएफ) ने एक बयान में चिंता व्यक्त की कि चालू वर्ष के चीनी निर्यात को एक करोड़ टन पर सीमित करने से सहकारी समितियों को निर्यात के कम आदेश जारी किए गए हैं।
सहकारिता निकाय ने कहा, ‘‘सहकारिता को जारी किए गए निर्यात रिलीज ऑर्डर (ईआरओ) मुश्किल से 47 प्रतिशत के ही हैं। ईआरओ के बिना शेष 53 प्रतिशत कच्ची चीनी के निर्यात की अनुमति नहीं मिलने पर भारी वित्तीय नुकसान हो सकता है। क्योंकि ऐसे स्टॉक के लिए कोई स्थानीय बाजार नहीं है जो आमतौर पर भंडारण में खराब हो जाता है।’’
एनएफसीएसएफ ने यह भी उल्लेख किया कि इन विसंगतियों को एनसीपी प्रमुख द्वारा प्रधानमंत्री के संज्ञान में लाया गया है।
एनएफसीएसएफ ने कहा, ‘‘एक अलग पत्र में पूर्व कृषि मंत्री पवार ने प्रधानमंत्री से इन विसंगतियों को ध्यान में रखते हुए चीनी निर्यात के लिए तय सीमा में दस लाख टन की वृद्धि करने का अनुरोध किया है।’’
पवार ने अक्टूबर, 2022 से शुरू होने वाले नए विपणन वर्ष में ‘ओपन जनरल लाइसेंस’ के तहत चीनी निर्यात जारी रखने की भी मांग की है।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है।
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