मुंबई, 11 मई प्रख्यात संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा का बुधवार को परिवार और मित्रों की उपस्थिति में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया।
शर्मा का यहां पाली हिल स्थित आवास पर 83 वर्ष की आयु में मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था।
जम्मू कश्मीर के लोक वाद्ययंत्र संतूर को वैश्विक पहचान दिलाने का श्रेय शर्मा को दिया जाता है। जुहू में उनके पार्थिव शरीर को जनता द्वारा श्रद्धांजलि देने के लिए रखा गया था। वहीं उन्हें ‘‘गार्ड ऑफ़ ऑनर’’ दिया गया। इसके बाद विले पार्ले के पवन हंस अंत्येष्टि स्थल पर उनका अंतिम संस्कार किया गया।
शर्मा की पत्नी मनोरमा और उनके बेटे राहुल तथा रोहित, मित्रगण, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया और तबला वादक जाकिर हुसैन इस मौके पर उपस्थित थे। दिवंगत संगीतकार के पार्थिव शरीर को उनके बेटों ने मुखाग्नि दी जिसके बाद बंदूक की सलामी दी गई।
इससे पहल आज अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, शबाना आजमी, गीतकार जावेद अख्तर, जतिन-ललित और गायिका इला अरुण समेत अन्य लोगों ने अभिजीत कोओपरेटिव सोसाइटी में शर्मा को श्रद्धांजलि दी। अख्तर ने संवाददाताओं से कहा कि संतूर का नाम हमेशा शर्मा के नाम का पर्याय रहेगा।
उन्होंने कहा, “जब भी किसी बड़ी हस्ती का निधन होता है तब कुछ बातें कही जाती हैं जैसे कि ‘उनके जैसा कोई नहीं होगा’, ‘अब एक खालीपन हो गया है जिसे कोई भर नहीं सकता।’ लेकिन शिव जी के मामले में, ये केवल बातें नहीं बल्कि सच है। जब कोई संगीतकार कोई यंत्र बजाना सीखता है और ऐसा बजाता है जैसा कोई नहीं बजा सकता तो वह उस्ताद बन जाता है। लेकिन जब शिव जी ने संतूर बजाया तो उस यंत्र को दुनियाभर में सम्मान मिला।”
अख्तर ने कहा, “भविष्य में, 100 साल या हजार साल बाद जब भी संतूर का नाम लिया जाएगा तो वह शिवकुमार शर्मा के बिना अधूरा होगा। संतूर से शिवकुमार का वह रिश्ता है जो आधुनिक विज्ञान से आइंस्टीन का है।’’
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