कोलकाता, 11 जुलाई: पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के घोषित नतीजों के मुताबिक, तृणमूल कांग्रेस अपने वर्चस्व को कायम रखती दिख रही है. दो साल पहले तृणमूल ने विधानसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की थी. राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) द्वारा मंगलवार रात 11:30 बजे तक घोषित नतीजों के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वियों को पीछे छोड़ते हुए सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने 30,391 सीट पर जीत दर्ज कर ली है जबकि वह 1,767 सीट पर बढ़त बनाए हुए है. यह भी पढ़ें: WB Panchayat Election Result 2023: पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में TMC को बड़ी बढ़त, दोपहर 2.30 बजे तक 8232 सीटों पर जीत, जानें बीजेपी-कांग्रेस का हाल
वहीं, तृणमूल कांग्रेस की निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 8,239 सीट पर जीत दर्ज की है जबकि वह 447 सीट पर बढ़त बनाए हुए है। राज्य में कुल 63,299 ग्राम पंचायत सीट के लिए मतदान कराया गया है. घोषित नतीजों के मुताबिक, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने 2,534 सीट पर जीत दर्ज की है. कांग्रेस ने 2,158 सीट पर जीत दर्ज की है तथा 151 अन्य सीट पर उसके प्रत्याशी आगे चल रहे हैं.
सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस 2,612 पंचायत समिति सीट जीत चुकी है और 627 अन्य पर बढ़त बनाए हुए है. भाजपा ने अबतक पंचायत समिति की 275 सीट जीत ली हैं जबकि 149 सीट पर आगे चल रही है। माकपा ने 63 सीट पर जीत दर्ज की है और 53 अन्य पर आगे चल रही है, जबकि कांग्रेस ने 50 सीट जीत ली हैं. राज्य की 9,728 पंचायत समिति सीट के लिए मतदान कराया गया था.
तृणमूल कांग्रेस ने अब तक घोषित जिला परिषद की सभी 88 सीट पर जीत दर्ज की है और 163 अन्य पर आगे चल रही है, जबकि माकपा ने चार सीट पर, कांग्रेस ने दो सीट पर तथा भाजपा ने 13 सीट पर बढ़त बनाई हुई है। राज्य में कुल 928 जिला परिषद सीट है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को पंचायत चुनावों में टीएमसी की शानदार जीत के लिए पश्चिम बंगाल के लोगों को धन्यवाद दिया.
बनर्जी ने एक बयान में कहा, ‘‘मैं तृणमूल कांग्रेस के प्रति लोगों के प्यार, स्नेह और समर्थन के लिए उन्हें धन्यवाद देना चाहती हूं. इस चुनाव ने साबित कर दिया है कि केवल टीएमसी ही राज्य के लोगों के दिल में रहती है.’’ तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में उनकी पार्टी के पक्ष में मतदान करने के लिए मंगलवार को लोगों को धन्यवाद दिया.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी पर संभवत: कटाक्ष करते हुए बनर्जी ने कहा कि ‘ममता के लिए वोट नहीं’ अभियान ‘ममता के लिए वोट’में तब्दील हो गया. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘लोगों का आभारी हूं, जिन्होंने #तृणमूलनवज्वार को भारी समर्थन देकर विपक्ष के ‘नो वोट टू ममता’ अभियान को ‘नाउ वोट फॉर ममता’ में तब्दील कर दिया. निश्चित तौर पर हमें शानदार जनमत मिला है और लोकसभा चुनाव का रास्ता साफ करता है. बंगाल मैं इस प्यार के लिये आपको धन्यवाद देता हूं.’’
इस चुनाव को सभी पार्टियों ने गंभीरता से लड़ा है क्योंकि वे इसे वर्ष 2024 संसदीय चुनाव में हवा के रुख का आकलन करने के लिए संकेतक मान रही हैं. पश्चिम बंगाल में शनिवार को हुए पंचायत चुनाव में व्यापक पैमाने पर हिंसा हुई थी, जिसमें 15 लोगों की मौत हो गयी. इनमें 11 तृणमूल कांग्रेस से जुड़े हुए थे. पंचायत चुनाव की घोषणा के बाद से राजनीतिक हिंसा में कुल 33 लोगों की मौत हुई है जिनमें से 60 प्रतिशत सत्तारूढ़ दल से ताल्लुक रखते थे.
विभिन्न पार्टियों द्वारा मतदान में छेड़छाड़ और हिंसा के आरोप लगाए जाने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) ने सोमवार को 696 सीट के लिए दोबारा मतदान कराया जो कुल मिलाकर शांतिपूर्ण संपन्न हुआ. कलकत्ता उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद चुनाव और मतगणना के दिन केंद्रीय बलों की तैनाती की गई.
सोमवार को हुए पुनर्मतदान के दौरान शाम पांच बजे तक 69.85 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. शनिवार को संपन्न पंचायत चुनाव में मतदान 80.71 प्रतिशत रहा.
पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में हिंसा का इतिहास रहा और वर्ष 2003 के चुनाव में एक दिन में करीब 40 लोग मारे गए थे. इस साल चुनावी हिंसा को मीडिया ने बड़े पैमाने पर कवर किया जिसकी वजह से राष्ट्रीय स्तर पर लोगों का इसपर ध्यान गया.
हिंसा संबंधी घटनाओं पर रिपोर्ट देने गए दिल्ली गए राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘राजनीतिक पार्टियों को समझना चाहिए कि चुनाव ताकत जांचने का आधार नहीं है.’’ करीब 74,000 सीटों पर हुए त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के लिए वोटों की गिनती कड़ी सुरक्षा के बीच मंगलवार सुबह आठ बजे शुरू हुई. इनमें ग्राम पंचायत सीट के अलावा 9,730 पंचायत समिति की सीट और 928 जिला परिषद सीट शामिल हैं.
राज्य के 22 जिलों में करीब 339 मतगणना केंद्र बनाए गए हैं. सबसे अधिक 28 मतगणना केंद्र दक्षिण 24 परगना जिले में है, जबकि सबसे कम चार मतगणना केंद्र कलिम्पोंग में हैं. उत्तरी बंगाल के कुछ जिलों में खराब मौसम की स्थिति है. राज्य निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘सुबह आठ बजे शुरू हुई मतगणना के अगले दो दिन जारी रहने की उम्मीद है. मतों की गिनती और नतीजे आने में वक्त लगेगा.’’
दार्जीलिंग में कुल 598 सीट हैं जबकि कलिम्पोंग में कुल 281 सीट हैं. यहां भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा (बीजीपीएम) कई इलाकों में बढ़त बनाए हुए है. सभी मतगणना केंद्रों पर राज्य पुलिस तथा केंद्रीय बलों के सशस्त्र कर्मी तैनात हैं और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए मतगणना केंद्रों के बाहर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 लागू की गई है। 22 जिलों में कुल 767 ‘स्ट्रांगरूम’ स्थापित किए गए हैं.
विभिन्न मतगणना स्थल पर प्रत्याशियों के समर्थक बड़ी संख्या में जमा हैं. कई जिलों में तृणमूल कांग्रेस समर्थकों ने नाचकर, एक दूसरे को गले लगाकर और हरा गुलाल लगाकर जीत का जश्न मनाया.
पंचायत चुनाव के शुरुआती रुझानों के साथ तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग भी शुरू हुई। भाजपा ने राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी पर ‘‘ मतों की लूट करने और मतगणना केंद्र में विरोधियों के मतगणना एजेंट को प्रवेश करने से रोकने का आरोप लगाया.’’
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने कहा, ‘‘तृणमूल कांग्रेस के गुंडे भाजपा और अन्य विपक्षी दलों के मतगणना एजेंट को मतगणना केंद्रों में प्रवेश करने से रोककर जनमत की चोरी करने का प्रयास कर रहे हैं. मतगणना एजेंटों को केंद्रों में जाने से रोका जा रहा है और बमबाजी कर उन्हें धमकाया जा रहा है.’’
भाजपा के आरोपों को खारिज करते हुए तृणमूल कांग्रेस प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, ‘‘हार की आशंका की वजह से वे आधारहीन आरोप लगा रहे हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ जनता द्वारा खारिज किए जाने के बाद शर्मनाक हार का आभास होने पर भाजपा अपनी संगठनात्मक अक्षमता छिपाने की आखिरी कोशिश कर रही है.’’
माकपा के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने कहा, ‘‘हम लोगों को सलाम करते हैं जो इन बाधाओं के बावजूद वाम मोर्चे के उम्मीदवारों का समर्थन किया.’’ मकापा नेता ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ दल पंचायतों की सत्ता में वापसी के लिए पुलिस और प्रशासन का दुरुपयोग कर रहा है.
नवगठित आईएसएफ का नेतृत्व कर रहे विधायक नौशाद सिद्दीकी ने ‘पीटीआई-’ को कहा, ‘‘जब भी लोगों को अपनी राय व्यक्त करने का मौका मिलता है तो वह हिंसा और धमकी के बावजूद सत्तारूढ़ दल के खिलाफ अपनी राय रखती है।’’ उन्होंने कहा कि कुछ समुदायों के वोट बैंक होने की किवदंती गलत साबित हुई है.
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