इस्लामाबाद, 6 सितंबर : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार को बड़ी राहत देते हुए उच्चतम न्यायलय ने देश के भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों में उन बदलावों को शुक्रवार को सर्वसम्मति से बहाल कर दिया, जिनसे प्रधानमंत्री और उनके बड़े भाई नवाज शरीफ सहित कई बड़े नेताओं को फायदा हुआ था. पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश (सीजेपी) काजी फैज ईसा ने संघीय सरकार और अन्य पक्षों द्वारा दायर अंतर-अदालती अपीलों (आईसीए) पर सुनवाई के बाद पांच सदस्यीय पीठ द्वारा छह जून को सुरक्षित रखा गया फैसला सुनाया.
देश की शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) कानूनों में संशोधन को निरस्त करने वाले पहले के फैसले को पलट दिया तथा संघीय सरकार एवं अन्य प्रभावित पक्षों द्वारा दायर अंतर-अदालती अपीलों को स्वीकार कर लिया. शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली पिछली सरकार ने मई 2023 में राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) कानूनों में संशोधन किया था. इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी ने इस कानून की आलोचना की थी क्योंकि इसके कारण आसिफ अली जरदारी, शहबाज शरीफ और उनके भाई नवाज शरीफ जैसे नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले वापस ले लिए गए थे. यह भी पढ़ें : Kenya Hostel Fire Breaks: केन्या के छात्रावास में आग लगने से 17 छात्रों की मौत, 13 गंभीर रूप से झुलसे: पुलिस
पूर्व प्रधानमंत्री खान ने इन संशोधनों को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी, जिसने पिछले साल सितंबर में इन बदलावों को रद्द कर दिया था. न्यायालय के हालिया फैसले के अनुसार, उसने अपील के पक्ष में सर्वसम्मति से फैसला सुनाया और उन संशोधनों को बहाल कर दिया जिन्हें पहले असंवैधानिक घोषित किया गया था. न्यायालय ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीश ‘‘संसद के द्वारपाल नहीं हो सकते.’’ उसने कहा, ‘‘जब भी संभव हो, उच्चतम न्यायालय को संसद द्वारा बनाए गए कानून को बरकरार रखने का प्रयास करना चाहिए.’’ सुनवाई के दौरान खान रावलपिंडी की अदियाला जेल से वीडियो लिंक के जरिए अदालत के समक्ष पेश हुए, जहां वह पिछले साल सितंबर से बंद हैं.