धार (मध्यप्रदेश), सात जनवरी मध्यप्रदेश के पीथमपुर क्षेत्र में यूनियन कार्बाइड अपशिष्ट के निपटान का विरोध करने वाले एक स्थानीय संगठन ने मंगलवार को कहा कि अगर राज्य सरकार अपनी योजना पर आगे बढ़ती है तो वे उच्चतम न्यायालय का रुख करेंगे या फिर नया आंदोलन शुरू करेंगे।
धार जिले के एक बड़े औद्योगिक केंद्र पीथमपुर में पिछले सप्ताह हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे, जब भोपाल में बंद पड़ी फैक्ट्री से 337 टन खतरनाक अपशिष्ट को जलाने के लिए रामकी एनवायरो इकाई में लाया गया था।
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने सोमवार को राज्य सरकार को सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन करते हुए अपशिष्ट के निपटान के लिए छह सप्ताह के भीतर कदम उठाने का निर्देश दिया।
प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे पीथमपुर बचाओ समिति के संयोजक हेमंत हिरोले ने मंगलवार को दावा किया कि उच्च न्यायालय का आदेश स्थानीय लोगों की भावनाओं के अनुरूप है, जो नहीं चाहते कि शहर के आसपास के क्षेत्र में जहरीले अपशिष्ट को जलाया जाए।
उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय ने इस बारे में कोई निर्देश नहीं दिया कि क्या सरकार को दिसंबर 1984 में गैस रिसाव त्रासदी के बाद 40 वर्षों से भोपाल में यूनियन कार्बाइड की बंद पड़ी कीटनाशक फैक्ट्री में पड़े कचरे के निपटान के लिए किसी अन्य स्थान का चयन करना चाहिए।
हिरोले ने कहा कि स्थानीय लोग चाहते हैं कि कचरे को सुरक्षित और त्वरित परिवहन के लिए ‘ग्रीन कॉरिडोर’ बनाकर कहीं और ले जाया जाए, जैसा कि भोपाल से 220 किलोमीटर दूर पीथमपुर में लाए जाने के समय बनाया गया था।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यदि सरकार फिर भी मनमानी करती है, तो हम उच्चतम न्यायालय का रुख करेंगे और न्याय की अपील करेंगे, या फिर पूरी ताकत से सड़कों पर उतरकर जन आंदोलन शुरू करेंगे।’’
उन्होंने कहा कि वे तीन जनवरी को किए गए विरोध प्रदर्शन से भी बड़ा विरोध प्रदर्शन करेंगे, लेकिन शहर के पास कचरे को जलाने नहीं देंगे।
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश एस के कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की एक खंडपीठ ने कहा था कि उच्च न्यायालय का तीन दिसंबर, 2024 का आदेश पर्याप्त है, जिसमें निर्देश दिया गया था कि भोपाल संयंत्र से सभी अपशिष्ट पदार्थों को निपटान के लिए ले जाया जाए और इसके लिए किसी और निर्देश की आवश्यकता नहीं है।
दो-तीन दिसंबर, 1984 की दरमियानी रात्रि को भोपाल में यूनियन कार्बाइड कीटनाशक कारखाने से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस लीक हो गई थी, जिससे कम से कम 5,479 लोगों की मौत हो गई थी और हजारों लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे और उन्हें लंबे समय तक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं रहीं।
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