ताजा खबरें | राज्यसभा में विपक्ष ने नीट प्रणाली समाप्त करने की मांग की

नयी दिल्ली, दो अगस्त राज्यसभा में शुक्रवार को विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट-यूजी) प्रणाली में भ्रष्टाचार होने का आरोप लगाते हुए इसे समाप्त करने की मांग की वहीं सत्तापक्ष ने इसका जोरदार बचाव किया और कहा कि यह व्यवस्था न सिर्फ आम छात्रों के हित में है बल्कि इससे निष्पक्षता और समानता को भी बढ़ावा मिला है।

एक सदस्य ने दोनों सदनों की समिति गठित करने का भी सुझाव दिया जो नए तरीके से परीक्षाएं आयोजित करने पर विचार करे ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को भागीदारी बढ़ सके।

उच्च सदन में द्रमुक के मोहम्मद अब्दुल्ला के एक निजी संकल्प पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के शक्तिसिंह गोहिल ने कहा कि नीट परीक्षा देश के लाखों युवाओं से जुड़ा मामला है और पैसे के दम पर डॉक्टर बनने वाले लोग कैसे इलाज कर पाएंगे?

अब्दुल्ला के निजी संकल्प का समर्थन करते हुए उन्होंने नीट प्रणाली का विरोध किया और कहा कि उच्चतम न्यायालय ने भी माना है कि इसमें धांधली हुई है। उन्होंने कहा कि अगर कोई गड़बड़ी नहीं हुई तो सीबीआई की जांच क्यों हो रही है और लोगों को गिरफ्तार क्यों किया गया है।

उन्होंने आरोप लगाया कि नीट परीक्षा में गड़बड़ी की जांच के सिलसिले में गुजरात के गोधरा केंद्र का भी नाम आया है और वहां से गिरफ्तार आरोपी ने भाजपा को चंदा दिया था।

अब्दुल्ला के निजी संकल्प में शिक्षा को संविधान की समवर्ती सूची से हटाकर राज्य सूची में डालने का प्रस्ताव है। इसी संकल्प में नीट-यूजी और एनटीए (राष्ट्रीय परीक्षाण एजेंसी) को भंग करने का भी प्रस्ताव है।

भारतीय जनता पार्टी के अनिल सुखदेव राव बोंडे ने संकल्प का विरोध करते हुए कहा कि पूर्ववती कांग्रेस सरकार के शासनकाल में ही यह राय बनी थी कि चिकित्सा संस्थानों में प्रवेश के लिए पूरे देश में एक ही परीक्षा होनी चाहिए किंतु कांग्रेस सरकार इसे अमली जामा नहीं पहना पायी।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार की राय को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने कानूनी जामा पहनाया। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर केंद्र सरकार ने नीट-यूजी की परीक्षा करवानी शुरू की थी।

भाजपा सदस्य ने कहा कि नीट परीक्षा में कुछ शरारती तत्व हैं किंतु सरकार को इस बारे में जैसे ही जानकारी मिली, उसने तुरंत कार्रवाई की और यह मामला सीबीआई को सौप दिया गया है।

उन्होंने आरोप लगाया कि इस संकल्प से मेडिकल कॉलेज चलाने वाले कुछ पूंजीपतियों को मदद मिलेगी।

कांग्रेस के सैयद नासिर हुसैन ने संकल्प का समर्थन किया और कहा कि शिक्षा में समानता होनी चाहिए लेकिन आज स्थिति बदल गयी है। उन्होंने नीट परीक्षा में भ्रष्टाचार होने का आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ विचारधारा से जुड़े बच्चों को दाखिला दिलाने के लिए लिए नीट परीक्षा का इस्तेमाल किया जा रहा है

उन्होंने आरोप लगाया कि एनटीए खुद कोई परीक्षा नहीं कराती है और यह आउटसोर्स किया जाता है जिसमें सत्ताधारी दल से जुड़े लोगों को ठेके दिए जाते हैं।

उन्होंने कहा कि कोई भी प्रवेश परीक्षा वैज्ञानिक होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि दोनों सदनों की एक समिति बननी चाहिए जो विस्तार से चर्चा करे कि नए तरीके से कैसे परीक्षाएं आयोजित की जाएं ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को ज्यादा से ज्यादा भागीदारी मिल सके।

तृणमूल कांग्रेस के जवाहर सरकार ने इस निजी संकल्प का समर्थन किया और कहा कि नीट परीक्षा सीबीएसई बोर्ड के पक्ष में है और अन्य राज्य के बोर्ड के छात्रों को समान अवसर नहीं मिलता।

उन्होंने नीट परीक्षा में वस्तुनिष्ठ सवाल किए जाने पर भी आपत्ति जतायी और कहा कि इस पद्धति से प्रतिभा की वास्तविक जांच नहीं हो सकती। उन्होंने नीट और एनटीए के भ्रष्टाचार पर काबू पाने में नाकाम रहने का आरोप लगाया।

द्रमुक सदस्य एन. आर. इलांगो ने भी नीट का विरोध किया और कहा कि इस वजह से शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के बीच खाई बढ़ी है।

आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा ने मौजूदा शिक्षा पद्धति का जिक्र करते हुए कहा कि इस वजह से छात्रों का बचपन छिन गया है और उनके बीच गलाकाट प्रतिस्पर्धा हो रही है। उन्होंने पेपर लीक मामले की व्यापक जांच कराए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि शिक्षा एवं रोजगार के बीच व्यापक अंतर है और इस दिशा में ध्यान देने की जरूरत है।

राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा ने कहा कि भारत विविधताओं से भरा देश है और यहां अनेकता में एकता है लेकिन एनटीए और नीट उस संकल्पना को पूरा नहीं करती है। उन्होंने एनटीए को भंग करने की मांग की और कहा कि विश्वविद्यालयों में दाखिला के लिए शुरू की गई सीयूईटी (केंद्रीय विश्वविद्यालय संयुक्त प्रवेश परीक्षा) के कारण कोचिंग को बढ़ावा मिला है।

माकपा के जॉन ब्रिटास ने भी नीट और एनटीए का विरोध किया। उन्होंने कहा कि एनटीए में सिर्फ 25 स्थायी कर्मचारी हैं और वह देश की 25 प्रमुख परीक्षाओं को आयोजन करती है।

उन्होंने कहा कि नीट प्रणाली सीबीएसई छात्रों के पक्ष में है जिसमें विभिन्न राज्यों के बोर्डों के छात्रों को समान अवसर नहीं मिलता।

भाजपा के गणपत गोपचड़े ने नीट परीक्षा का जोरदार बचाव किया और कहा कि इस व्यवस्था से निष्पक्षता और समानता को बढ़ावा मिला है। उन्होंने कहा कि पहले अलग-अलग परीक्षाएं होती थीं, उनके पाठ्यक्रम भी अलग थे। भाजपा सदस्य ने कहा कि छात्रों को कई परीक्षाओं में शामिल होना पड़ता था और उन्हें विभिन्न स्थानों की यात्रा भी करनी पड़ती थी।

उन्होंने कहा कि नीट के कारण आज देश में विश्वस्तरीय डॉक्टर बन रहे हैं और एम्स जैसे संस्थान में गरीब बच्चे भी पढ़ाई कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि नीट के कारण परीक्षा में शुद्धता बढ़ी है और आर्थिेक रूप से कमजोर छात्रों के साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं महिलाओं की संख्या में वृद्धि हुई है।

चर्चा अधूरी रही।

अविनाश ब्रजेन्द्र

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