देश की खबरें | चांदनी चौक पुनर्विकास संबंधी लंबित मुद्दे पर उच्च न्यायालय ने कहा, अब तक 'वनवास' खत्म हो जाना चाहिए

नयी दिल्ली, 23 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने यहां 2007 से चांदनी चौक के पुनर्विकास से जुड़े लंबित मुद्दे पर मंगलवार को चिंता जाहिर करते हुए कहा कि ''अब तक वनवास खत्म हो जाना चाहिए'' क्योंकि रामायण में भी वनवास 14 साल से अधिक नहीं चला था।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की पीठ ने कहा, '' याचिका 2007 से ही जारी है। यहां तक कि रामायण में भी वनवास 14 साल से अधिक समय तक नही चला था । अब वनवास समाप्त हो जाना चाहिए। ये क्या हो रहा है?''

अदालत ने चांदनी चौक क्षेत्र के पुनर्विकास और गैर-मोटर चालित वाहनों (एनएमवी) के लिए लेन बनाने के मुद्दे पर एनजीओ 'मानुषी संगठन' द्वारा लंबित याचिका में दायर एक आवेदन पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।

दिल्ली सरकार के सेवा विभाग द्वारा एक आवेदन दायर कर मामले से नोडल अधिकारी रेणु शर्मा को मुक्त करने की मांग की गई थी क्योंकि उन्हें मुख्य सचिव के रूप में मिजोरम स्थानांतरित कर दिया गया है।

हालांकि, अदालत ने वकील के अनुरोध के बाद आवेदन पर कार्यवाही स्थगित कर दी और इसे अगली सुनवाई के लिए 13 जनवरी को सूचीबद्ध किया।

वकील ने दलील दी कि अदालत के पूर्व के आदेश के अनुसार नोडल अधिकारी रेणु शर्मा को उसकी पूर्व अनुमति के बिना स्थानांतरित नहीं किया जा सकता।

मुख्य मामले में, अदालत ने पूर्व में चांदनी चौक इलाके में भीड़ कम करने के संबंध में कई निर्देश देते हुए क्षेत्र में चलने वाले रिक्शा के पंजीकरण, वहां आने वाले निजी वाहनों के लिए गांधी मैदान में पार्किंग स्थल, पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास दंगल मैदान में एक बस डिपो बनाने और एनएमवी लेन का निर्माण करने के निर्देश दिये थे।

ये सभी परियोजनाएं चांदनी चौक के पुनर्विकास की मुख्य योजना का हिस्सा हैं और उच्च न्यायालय द्वारा इसकी निगरानी की जा रही है।

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