PCOS पीड़ित महिला के बेटों में मोटापे का जोखिम तीन गुना अधिक
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नयी दिल्ली, छह मई: पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) रोग से पीड़ित महिला के बेटों के मोटापे की चपेट में आने का जोखिम तीन गुना अधिक होता है. एक नये अध्ययन में यह दावा किया गया है. स्वीडन स्थित करोलिंस्का इंस्टिट्यूट के अध्ययन में कहा गया है कि यह पूर्व में अज्ञात रहे पीसीओएस संबंधित स्वास्थ्य समस्या के पीढ़ी दर पीढ़ी पहुंचने के जोखिम को उजागर करता है. यह भी पढ़ें: Body of Man Found Inside Crocodile: ऑस्ट्रेलिया में दोस्तों के साथ मछली पकड़ने गए व्यक्ति का शव मगरमच्छ के भीतर मिला

पीसीओएस संबंधित समस्या परिवार के पुरुष सदस्य के जरिये एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पहुंचती है.

यह अध्ययन जर्नल सेल रिपोर्ट्स मेडिसिन में प्रकाशित हुआ है। रजिस्ट्री डाटा और कई ‘माउस मॉडल’ का इस्तेमाल करके अनुसंधानकर्ताओं ने निर्धारित किया कि कैसे पीसीओएस जैस लक्ष्ण माताओं से उनके बेटों में पहुंचते हैं.

स्वीडन में जुलाई, 2006 से दिसंबर,2005 के बीच जन्मे 4.6 लाख से थोड़े अधिक लड़कों को रजिस्ट्री अध्ययन में शामिल किया गया. इनमें से 9000 लड़के उन महिलाओं के थे जो पीसीओएस से पीड़ित थीं.

इसके आधार पर अनुसंधानकर्ताओं ने चिह्नित किया कि कौन से बच्चे मोटापे से पीड़ित थे. करोलिंस्का इंस्टीट्यूट के फिजियोलॉजी और फार्माकोलॉजी विभागमें प्रोफेसर और मुख्य शोधकर्ता एलिसबेट स्टेनर-विक्टोरिन ने कहा, ‘‘हमने पता लगाया कि पीसीओएस पीड़ित महिलाओं के बेटों में मोटापे का जोखिम तीन गुना से अधिक होता है और इनमें खराब कोलेस्ट्राल की मात्रा भी अधिक होती है जिससे जीवन में आगे चलकर इंसुलिन प्रतिरोध और टाइप-दो शुगर से पीड़ित होने का खतरा बढ़ जाता है.’’

स्टेनर-विक्टोरिन ने कहा कि ये निष्कर्ष भविष्य में प्रजनन और उपापचय संबंधी बीमारियों की प्रारंभिक अवस्था में पहचान, उपचार और रोकथाम के तरीके खोजने में हमारी मदद कर सकते हैं.

अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक यह शोध दिखाता है कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में मोटापा और नर हार्मोन का उच्च स्तर जन्म लेने वाले बेटों में दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्या का एक कारण हो सकता है.

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