कोच्चि, 28 अक्टूबर केरल सरकार और पुलिस ने बृहस्पतिवार को केरल उच्च न्यायालय को बताया कि सबरीमाला में भगवान अयप्पा मंदिर के ट्रस्टी त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड (टीडीबी) की शक्तियां लेने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है और अदालत के आदेश पर भीड़ नियंत्रण के लिए 2011 में वर्चुअल कतार प्रणाली लागू की गई थी।
राज्य सरकार ने पूर्व में अदालत के समक्ष दिए गए अपने अभिवेदन को दोहराते हुए न्यायमूर्ति अनिल के नरेंद्रन और न्यायमूर्ति पी जी अजित कुमार की पीठ को बताया कि 2011 में मंदिर में भगदड़ में 100 से अधिक लोगों की मौत के बाद वर्चुअल कतार प्रणाली की व्यवस्था की गई थी।
सरकार ने कहा कि टीडीबी भी तीर्थयात्रियों के लाभ के लिए वर्चुअल कतार प्रणाली का उपयोग करना चाहता है। इसने कहा कि न तो उसने और न ही पुलिस ने बोर्ड की शक्तियों को अपने हाथ में लिया है।
राज्य सरकार ने यह भी कहा कि वह व्यवस्था में कोई भी संशोधन करने के लिए तैयार है जो कि अदालत द्वारा सुझाया जा सकता है।
पीठ अपने द्वारा शुरू की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जनहित याचिका इस सवाल पर विचार करने के लिए उच्च न्यायालय के एक जुलाई के विस्तृत आदेश पर आधारित है कि क्या सबरीमाला तीर्थयात्रा के लिए वर्चुअल कतार प्रणाली को त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड को सौंपा जा सकता है जैसा कि अन्य देवस्वम द्वारा किया गया है।
मामले में अगली सुनवाई एक नवंबर को होगी।
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