देश की खबरें | नीति आयोग की बैठक में बोलने की अनुमति नहीं दी गई, यह अपमानजनक है: ममता बनर्जी

कोलकाता, 27 जुलाई पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को दावा किया कि उन्हें नयी दिल्ली में नीति आयोग की बैठक में बोलने की अनुमति नहीं देकर अपमानित किया गया।

बनर्जी ने कहा कि अगर अन्य राज्यों को अधिक धन आवंटित किया जाता है तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन वह पश्चिम बंगाल के साथ भेदभाव का विरोध करेंगी।

नयी दिल्ली से वापसी के समय कोलकाता हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बोलने नहीं दिया गया। वे बार-बार घंटी बजा रहे थे। यह अपमानजनक है।’’

शनिवार को, तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की बैठक से बीच में ही बाहर निकल गईं। बनर्जी ने कहा, ‘‘अगर वे कुछ राज्यों को ज्यादा धन आवंटित करते हैं, तो मुझे कोई समस्या नहीं है। लेकिन दूसरे राज्यों या बंगाल के साथ कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।’’

अपने संक्षिप्त संबोधन के दौरान उठाए गए मुद्दों पर बनर्जी ने कहा कि उन्होंने भारत-भूटान नदी आयोग के गठन के प्रस्ताव का उल्लेख किया, क्योंकि भूटान से आने वाला पानी अक्सर हर साल पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से में बाढ़ लाता है।

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के साथ तीस्ता जल बंटवारे के मुद्दे पर उनकी टिप्पणियों को कुछ वर्गों द्वारा गलत समझा गया है। बनर्जी ने कहा, ‘‘अगर हम तीस्ता नदी का पानी खो देते हैं, तो उत्तर बंगाल के लोग पीने के पानी के संकट से जूझेंगे।’’

बनर्जी ने आरोप लगाया कि नीति आयोग की बैठक में उन्हें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू समेत अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को दिए गए समय की तुलना में बहुत कम समय दिया गया।

बनर्जी ने दावा किया कि जब वह बैठक में बोल रही थीं, तो घंटी बजती रही। उन्होंने कहा, ‘‘राजनाथ सिंह बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री भी बैठे थे। जाहिर है, उन्होंने उनसे ऐसा करने के लिए कहा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘विपक्ष की तरफ से आज की बैठक में मैं अकेली शामिल हुई, क्योंकि हमारा मानना ​​है कि यदि सहकारी संघवाद को बचाना है तो केंद्र द्वारा लिए गए राज्य के धन का हिस्सा राज्य को विकास के लिए दिया जाना चाहिए।’’

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मुझसे पहले नायडू ने 20 मिनट तक बोले। असम, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ और गोवा के मुख्यमंत्रियों ने 15-20 मिनट तक बोले। लेकिन जैसे ही मैं पांच मिनट बोली, वे घंटी बजाते रहे और मुझे रुकने के लिए कहा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कहा कि ठीक है मैं रुक जाऊंगी और कहा कि अगर वे सुनना नहीं चाहते हैं, तो मैं चली जाऊंगी। मैंने बहिष्कार किया और निकल गई, क्योंकि वे बंगाल के मुद्दों के बारे में सुनना नहीं चाहते थे।’’

बनर्जी ने कहा कि चूंकि ‘इंडिया’ गठबंधन के मुख्यमंत्रियों ने बैठक का ‘‘बहिष्कार’’ किया, इसलिए उन्होंने वहां जाकर सभी की तरफ से बोलने का विचार किया।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पांच मिनट में जो कुछ भी बोल सकती थी, बोल दिया। बंगाल को केंद्रीय धन नहीं दिए जाने और जिस तरह से सभी विपक्षी शासित राज्यों को बजट में वंचित रखा गया, जबकि भाजपा और उसके सहयोगियों द्वारा शासित राज्यों को अधिक मिला, उस बारे में बात रखी।’’

बनर्जी ने कहा, ‘‘अगर कुछ राज्यों को अधिक धनराशि दी जाती है तो हमें कोई समस्या नहीं है, लेकिन ऐसा नहीं हो सकता कि एक की दूसरे के लिए अनदेखी की जाए। ऐसा नहीं हो सकता कि कुछ लोग खा सकें जबकि अन्य भूखे रहें।’’

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि जब विकास की बात आती है तो यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि काम राजनीति से प्रेरित न हो बल्कि सभी के कल्याण के लिए किया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘चुनावों के दौरान उन्होंने प्रचार किया कि तीन करोड़ आवास बनाए जाएंगे, लेकिन यह झूठ था। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा कि उन्होंने सुनिश्चित किया है कि चार करोड़ आवास बन जाएं। ऐसा लगता है कि उन्होंने आजादी के बाद से बने आवासों की गिनती की है।’’

बनर्जी ने कहा कि उन्होंने बैठक में कहा कि केंद्र सरकार अपनी तस्वीरों का इस्तेमाल उन परियोजनाओं में करती है, जहां काम वास्तव में राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर राज्य पंगु हो गए, तो एक दिन केंद्र भी प्रभावित होगा। बंगाल का 1.71 लाख करोड़ रुपये बकाया है- यह राशि और बढ़ेगी क्योंकि इस साल की गणना अभी होनी है। खाद्य सब्सिडी, मनरेगा, आवास योजना और सड़कों के लिए धन रोक दिया गया है।’’

विवादास्पद तीस्ता जल बंटवारे के मुद्दे पर बनर्जी ने कहा कि केंद्र को हितधारक राज्यों से परामर्श करना चाहिए। इस मुद्दे पर राज्य से परामर्श नहीं किए जाने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उन्होंने हमसे किसी भी बारे में नहीं पूछा। वे पश्चिम बंगाल को विभाजित करने की साजिश कर रहे हैं।’’

केंद्रीय मंत्री और प्रदेश भाजपा प्रमुख सुकांत मजूमदार ने हाल में पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से को पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय (डोनर) के अंतर्गत शामिल करने का प्रस्ताव रखा, ताकि इस क्षेत्र के लिए अधिक विकास निधि उपलब्ध हो सके।

बनर्जी ने कहा, ‘‘अगर हम तीस्ता नदी का पानी खो देते हैं, तो इसका असर किसे महसूस होगा? उत्तर बंगाल के लोगों को। मानसून के दौरान नदी उफान पर होती है, लेकिन गर्मियों में सूख जाती है, जिससे पानी की कमी हो जाती है।’’

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