Whatsapp निजता नीति संबंधी याचिका पर तत्काल सुनवाई आवश्यक नहीं : अदालत
व्हाट्सऐप (Photo Credits: Unsplash)

नयी दिल्ली, 22 जुलाई : दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने बृहस्पतिवार को कहा कि व्हाट्सएप की नयी निजता नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई आवश्यक नहीं है, क्योंकि संदेश भेजने वाले इस सोशल मीडिया मंच ने बयान में स्पष्ट किया है कि निजी सूचना संरक्षा विधेयक को अंतिम रूप दिए जाने तक वह फेसबुक को कोई ‘डेटा हस्तांतरित नहीं करेगा.’अमेरिका की इस कंपनी ने उच्च न्यायालय को बताया कि वह नयी निजता नीति को स्वीकार नहीं करने को लेकर फिलहाल किसी का अकाउंट ब्लॉक नहीं करेगा. मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने कहा कि कंपनी के रुख को देखते हुए इस याचिका पर सुनवाई 27 अगस्त को होगी. अदालत ने कहा, ‘‘उन्होंने बयान दिया है कि निजी सूचना संरक्षा विधेयक को जब तक अंतिम रूप नहीं दिया जाता है, वे (सूचना का) हस्तांतरण नहीं करेंगे. इस अदालत के समक्ष एक अन्य मामला लंबित है, जिसमें उन्होंने बयान दिया है. यह फिलहाल बहुत आवश्यक नहीं है.’’

व्हाट्सएप की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत से कहा कि उनके मुव्वकिल के रुख के अनुरुप फिलहाल नयी निजता नीति को स्वीकार नहीं करने वाले अकाउंट ब्लॉक नहीं किए जाएंगे. सिब्बल ने कहा, ‘‘हमने कहा कि हम ब्लॉक नहीं करेंगे.’’ याचिकाकर्ता हर्ष गुप्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक सूद ने इंगित किया कि 2021 की नीति को फिलहाल स्थगित भी कर दिया जाए तो 2021 से पहले की नीतियों के आधार पर सूचनाएं हस्तांतरित की जा सकती हैं. सूद ने अदालत से अनुरोध किया, ‘‘उन्हें बयान देने दें कि वे सूचना का हस्तांतरण नहीं करेंगे.’’ दूसरे याचिकाकर्ता चैतन्य रोहिला की ओर से पेश अधिवक्ता मनोहर लाल ने कहा कि उनकी चिंता मंच पर भेजे जाने वाले निजी संदेशों को लेकर नहीं बल्कि फेसबुक के साथ साझा किए जाने वाले ‘मेटा डेटा’ को लेकर है. दो अन्य लोगों के साथ मिलकर व्हाट्सएप की नीति को चुनौती देने वाली वकील मेगन ने भी उपयोक्ताओं की निजता को लेकर सवाल उठाए. यह भी पढ़ें : Instagram ने घोषणा की, अब स्टोरीज में टेक्स्ट का ऑटोमेटिकली ट्रांसलेट करने का ऑप्शन

अदालत ने कहा, ‘‘ठीक है, हम इसपर विचार कर रहे हैं. बार-बार (व्हाट्सएप को) बयान देने की जरुरत नहीं है.’’ वहीं, व्हाट्सएप की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरिश साल्वे ने कहा, ‘‘वादा है कि हम संसद में कानून बनने तक कुछ नहीं करेंगे. अगर संसद अनुमति देती है तो हम ऐसा करेंगे. अगर ऐसा नहीं होता है तो यह ‘बैड लक’ है... संसद द्वारा कानून बनाए जाने तक हम इसे रोक रहे हैं. या तो हम सामंजस्य बना सकेंगे या नहीं.’’ निजी सूचना संरक्षा विधेयक सरकार और निजी कंपनियों द्वारा लोगों की सूचनाओं के उपयोग का नियमन करेगा. इस विधेयक की समीक्षा कर रही संसद की संयुक्त समिति को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए मानसून सत्र तक का समय दिया गया है.