उन्होंने कहा, ‘‘इस बात पर अभी तक चर्चा जारी है कि क्या टीका लगवा चुके लोगों को अनुमति दी जाए अथवा नहीं. फिलहाल डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों के मुताबिक और दूसरे देशों के दिशानिर्देशों के अनुसार निगेटिव कोविड रिपोर्ट वाले लोगों को अनुमति दी जा रही है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब हम विश्व और डब्ल्यूएचओ स्तर (टीका पासपोर्ट मुद्दे) पर आम सहमति बना सकेंगे तब हम आवश्यक कदम उठाएंगे.’’ वह एक खबर पर सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या कोवैक्सीन टीका लेने वाले लोगों को अंतरराष्ट्रीय यात्रा की अनुमति मिलेगी क्योंकि डब्ल्यूएचओ ने इसे टीकों की सूची में शामिल नहीं किया है. यह भी पढ़ें- Corona Vaccination: दिल्ली में खत्म हुई 18+ के लिए वैक्सीन, सीएम अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर की ये मांग.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने ट्विटर हैंडल पर भी इस तरह की खबर को ‘‘भ्रामक एवं काल्पनिक’’ बताया. टीकों की बर्बादी के बारे में अग्रवाल ने कहा कि कोविशील्ड की बर्बादी की दर एक मार्च को आठ प्रतिशत से कम होकर अब एक प्रतिशत रह गई है, वहीं कोवैक्सीन की बर्बादी दर इसी अवधि में 17 फीसदी से घटकर चार फीसदी रह गई है. नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी. के. पॉल ने स्पष्ट किया कि बच्चों को स्तनपान कराने वाली महिलाओं का भी टीकाकरण कराया जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह की खबरें थीं कि टीका लगवाने वाली माताओं को कुछ दिनों के लिए अपने बच्चों को स्तनपान नहीं कराना चाहिए लेकिन मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि स्तनपान नहीं रोकना चाहिए और इसे जारी रखना चाहिए.’’
PTI का ट्वीट-
No consensus yet on COVID-19 vaccine passport issue at WHO level, discussions are going on: Govt
— Press Trust of India (@PTI_News) May 22, 2021
पॉल ने कहा, ‘‘किसी भी हालत में एक घंटे के लिए भी स्तनपान नहीं रोका जाना चाहिए.’’ बच्चों में कोविड-19 के बारे में पॉल ने कहा कि 10 से 17 वर्ष के बच्चों में सीरोपॉजिटिविटी की दर अमूमन वही है जो 30 से 40 वर्ष के लोगों के बीच है और बच्चों में भी संक्रमण हो सकता है. उन्होंने कहा, ‘‘जब बच्चों में संक्रमण होता है तो लक्षण न्यूनतम होते हैं, बहुत हल्के स्तर का संक्रमण होता है या लक्षण नहीं के बराबर होते हैं और संक्रमण बहुत कम होने के कारण उनमें मृत्यु दर भी बहुत कम है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘बच्चों में कोविड बीमारी को लेकर प्रोटोकॉल है. बच्चों को संक्रमण से बचाना भी काफी जरूरी है ताकि वे संचरण श्रृंखला का हिस्सा नहीं बनें.’’ म्यूकोरमाइकोसिस या काला कवक पर पॉल ने कहा कि दवाओं की उपलब्धता बढ़ाई जा रही है.
मधुमेह, स्टेरॉयड के कारण प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना, लंबे समय तक अस्पताल में रूकना और कोविड-19 रोगियों में अन्य गंभीर बीमारी होने के कारण म्यूकोरमाइकोसिस संक्रमण बढ़ सकता है. उन्होंने कहा, ‘‘स्टेरॉयड जीवन रक्षक है. यह शानदार दवा है लेकिन इसके बेतरतीब इस्तेमाल से म्यूकोरमाइकोसिस हो सकता है. इसलिए यह महामारी और नहीं फैले और इससे ज्यादा नुकसान नहीं हो, यह हमारी जिम्मेदारी है.’’