SC On Accident Compensation: कोई भी मुआवजा गंभीर हादसे के पीड़ितों का दर्द नहीं मिटा सकता- सुप्रीम कोर्ट
उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि कोई भी धनराशि या अन्य भौतिक मुआवजा किसी गंभीर दुर्घटना के बाद पीड़ित के आघात और पीड़ा को नहीं मिटा सकता, लेकिन मुआवजे से पीड़ित की परेशानियों को कम करने में कुछ हद तक मदद मिलती है.
नयी दिल्ली, 24 दिसंबर : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने कहा है कि कोई भी धनराशि या अन्य भौतिक मुआवजा किसी गंभीर दुर्घटना के बाद पीड़ित के आघात और पीड़ा को नहीं मिटा सकता, लेकिन मुआवजे से पीड़ित की परेशानियों को कम करने में कुछ हद तक मदद मिलती है. न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने कहा कि दिव्यांगता के प्रकार को ध्यान में रखते हुए पीड़ित व्यक्ति को उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए.
पीठ ने कहा, "यद्यपि कोई भी धनराशि या अन्य भौतिक मुआवजा गंभीर दुर्घटना के बाद पीड़ित के आघात, दर्द और पीड़ा को नहीं मिटा सकता (या किसी प्रियजन के जाने के नुकसान की भरपाई नहीं कर सकता), लेकिन मौद्रिक मुआवजा कानून के लिए ज्ञात तरीका है, जिससे समाज पीड़ितों को मदद के कुछ उपायों का आश्वासन देता है.’’ कर्नाटक के बीदर में सरकारी अस्पताल के निर्माण के दौरान घायल हुई एक महिला श्रमिक को 9.30 लाख रुपये का मुआवजा प्रदान करने का आदेश देते हुए शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी की. सिर पर सेंटरिंग प्लेट गिरने के कारण अपीलकर्ता 22 जुलाई, 2015 को दूसरी मंजिल से भूतल पर गिर गई थी. यह भी पढ़ें : केरल: दुर्घटना में सबरीमला तीर्थयात्रियों की मौत पर मुख्यमंत्री ने शोक जताया
शीर्ष अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता का इलाज करने वाले डॉक्टरों ने माना है कि उसकी रीढ़ की हड्डी सहित शरीर के विभिन्न हिस्सों की हड्डियां टूट गईं. इसने कहा कि आदर्श रूप से, कर्मचारियों को रोजगार के खतरों के लिए मुआवजा प्रदान किया जाना चाहिए. पीठ ने कहा, "इसमें कोई भी व्यावसायिक बीमारी या औद्योगिक दुर्घटना भी शामिल है, जिसकी चपेट में कर्मचारी रोजगार के दौरान आ सकता है, जो दिव्यांगता या मृत्यु का कारण बन सकती है." पीठ ने कहा, "अपीलकर्ता की कार्यात्मक अक्षमता 100 प्रतिशत के रूप में मूल्यांकन योग्य है और तदनुसार मुआवजे का निर्धारण किया जाना चाहिए."