नयी दिल्ली, आठ जुलाई दिल्ली की एक अदालत ने वीजा शर्तों का कथित तौर पर उल्लंघन कर राष्ट्रीय राजधानी के निजामुद्दीन इलाके में स्थित तबलीगी जमात के मरकज के एक आयोजन में शामिल होने के मामले में 21 देशों के 91 नागरिकों को बुधवार को जमानत दे दी।
इन लोगों पर वीजा शर्तों का उल्लंघन करने के अलावा अवैध रूप से मिशनरी गतिविधियों में शामिल होने और देश में कोविड-19 महामारी के मद्देनजर जारी किये गये सरकारी दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के आरोप है।
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मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट गुरमोहिना कौर ने दस हजार रुपये के निजी मुचलके पर इन विदेशियों को जमानत दी।
कुछ विदेशी नागरिकों की ओर से पेश वकील आशिमा मंडला ने कहा कि आरोपी इस अपराध में कम सजा के बारे में एक आवेदन बृहस्पतिवार को दाखिल करेंगे।
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सुनवाई के दौरान ये सभी विदेशी नागरिक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये अदालत के समक्ष पेश हुए।
उनकी पहचान संबंधित देशों के उच्चायोगों/ दूतावासों के संबंधित अधिकारियों के साथ-साथ जांच अधिकारी द्वारा की गई।
आरोपियों की ओर से पेश वकीलों मंदाकिनी सिंह, फहीम खान और अहमद खान ने बताया कि ये विदेशी लोग अफगानिस्तान, ब्राजील, चीन, अमेरिका, यूक्रेन, ऑस्ट्रेलिया, मिस्र, रूस, अल्जीरिया, बेल्जियम, सऊदी अरब, जॉर्डन, फ्रांस, कजाकिस्तान, मोरक्को, ट्यूनीशिया, ब्रिटेन, फिजी, सूडान, फिलीपीन और इथियोपिया के हैं।
अदालत ने इस मामले में मंगलवार को मलेशिया के 122 नागरिकों को जमनत दी थी।
अदालत ने मामले में 36 विभिन्न देशों से संबंधित 956 विदेशी नागरिकों के खिलाफ दायर 59 आरोप पत्रों पर संज्ञान लिया है और वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये विभिन्न तिथियों पर आरोपियों को तलब किया।
आरोप पत्रों के अनुसार सभी विदेशी नागरिकों पर वीजा नियमों, कोविड-19 महामारी के मद्देनजर सरकारी दिशा-निर्देशों और धारा 144 के तहत निषेधात्मक आदेशों का उल्लंघन करने के आरोप है।
इनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और विदेशी अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत भी मामला दर्ज किया गया है।
दंड प्रावधानों के तहत विभिन्न अपराधों के लिए छह महीने से लेकर आठ साल तक कैद की सजा हो सकती है।
केन्द्र ने इन लोगों के वीजा रद्द कर दिये है और इन्हें काली सूची में डाल दिया है। इन विदेशी नागरिकों को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है और ये लोग इस समय दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा मंजूर विभिन्न स्थानों पर रह रहे हैं।
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