बिहार विधानसभा में नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली
Nitish Kumar Photo Credits: Twitter

पटना, 9 नवंबर: बिहार विधानसभा में बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने पूर्व सहयोगी जीतन राम मांझी पर जमकर बरसे और कहा कि उनकी ‘‘मूर्खता’’ के कारण वह राज्य में सत्ता की सर्वोच्च सीट पर आसीन हुए. विपक्षी पार्टी भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख मांझी द्वारा सदन में राज्य सरकार के जाति सर्वेक्षण पर संदेह व्यक्त करने पर नीतीश कुमार अपनी सीट से खड़े हुए और मांझी की ओर इशारा करते कहा, ‘‘ये बोलता है कि हम मुख्यमंत्री थे। मेरी मूर्खता की वजह से यह मुख्यमंत्री बने। इसे कोई समझ है?’’

नीतीश के इस कथन के बाद भाजपा सदस्य आपत्ति जताते हुए हंगामा करने लगे. बिहार में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे नीतीश से उनके सहयोगी मंत्रियों को शांत होने और अपनी सीट ग्रहण करने का आग्रह करते हुए देखा गया पर सत्तर वर्षीय जदयू नेता तब तक शांत नहीं हुए जब तक कि उन्होंने मांझी के खिलाफ जमकर भड़ास नहीं निकाल ली. उन्होंने मीडिया गैलरी की ओर ऊपर की ओर नजर घुमाते हुए यह भी कहा, ‘‘पत्रकारों को भी पूरे तथ्य पता होने चाहिए। वे इस आदमी को खूब प्रचारित करते रहते हैं.’’

विरोध में खड़े हुए भाजपा सदस्यों से नीतीश ने कहा, ‘‘यह आदमी हमेशा से आपके साथ रहना चाहते थे. जब एक साल पहले मैंने आपको (राजग) छोड़ा था तो मैंने उनसे यहीं रहने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि वह मेरे साथ आना चाहते हैं. अब वह भाग गये हैं. वह गवर्नर बनना चाहते हैं। कृपया उन्हें उपकृत करें.’’ मुख्यमंत्री तब अपनी सीट पर बैठे जब विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने उनसे विनती करते हुए कहा, ‘‘ वह आपके आशीर्वाद के कारण ही मुख्यमंत्री बने थे.’’

मांझी के पक्ष में भाजपा सदस्यों के हंगामे के बीच बिहार विधानसभा की कार्यसूची में शामिल कार्य खत्म होने के तुरंत बाद सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गयी. आज की कार्यवाहियों में सर्वसम्मति से पारित वे विधेयक भी शामिल हैं जिनमें एससी, एसटी, ईबीसी और ओबीसी के लिए कोटा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत किया गया है. बाद में सदन के बाहर पत्रकारों से बातचीत में नाराज मांझी ने कहा, ‘‘मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ राज्यपाल और केंद्रीय गृह मंत्री से शिकायत करूंगा.

मैं उन्हें बर्खास्त करने और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग करूंगा। अभी कुछ दिन पहले ही उन्होंने महिलाओं के बारे में अपनी टिप्पणी से राज्य को शर्मसार किया। उनके बार-बार इस तरह के रवैये से पता चलता है कि अब उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है और उन्हें इतना महत्वपूर्ण पद नहीं सौंपा जा सकता है.’’ मांझी के पत्रकारों से बातचीत के दौरान उनके दोनों ओर भाजपा के विधायक भी खड़े थे, जिन्होंने हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख के साथ एकजुटता व्यक्त की और नीतीश पर ‘एक दलित का अपमान करने’ का आरोप लगाया.

मांझी मई, 2014 में बिहार के मुख्यमंत्री उस समय बने थे, जब नीतीश ने लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी जदयू की हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया था. हालाँकि, एक साल से भी कम समय में जदयू में विभाजन की कोशिश करने के आरोपों का सामना कर रहे मांझी को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पडा था जिसके बाद नीतीश की मुख्यमंत्री के रूप में वापसी हुई. मांझी ने बाद में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा नामक अपना एक दल बनाया और राजग के सदस्य के रूप में 2015 का विधानसभा चुनाव लड़ा.

नीतीश की 2017 में भाजपा के नेतृत्व वाले राजग में वापसी के कुछ महीने बाद, मांझी महागठबंधन में शामिल हो गए जो तब केवल राजद और कांग्रेस के साथ रह गया था. मांझी 2020 में फिर से राजग में लौट आए और उनकी पार्टी को जदयू के कोटे से चुनाव लड़ने के लिए सीटें दी गईं तथा उनके बेटे संतोष सुमन को मंत्री पद मिला.

पिछले साल जब नीतीश ने राजग छोड बिहार में महागठबंधन की नई सरकार बना ली तो मांझी भी उनके साथ ही रहे जिससे उनके बेटे को अपना मंत्री पद बरकरार रखने में मदद मिली. हालाँकि इस साल जून में, सुमन ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और मांझी ने महागठबंधन से बाहर निकलने की घोषणा की. उन्होंने आरोप लगाया था कि नीतीश कुमार उन पर अपनी पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को जदयू में विलय करने के लिए दबाव डाल रहे थे.

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