नयी दिल्ली, 12 जनवरी भारत ने नेपाल में अपने दूध निर्यातकों के समक्ष आ रही समस्याओं पर चिंता जताई है और पड़ोसी देश ने मट्ठा और पनीर जैसे विशिष्ट उत्पादों के आयात को सुविधाजनक बनाने की संभावना तलाशने पर सहमति जताई है। रविवार को एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई।
यह मामला व्यापार, पारगमन और अनधिकृत व्यापार से निपटने के लिए सहयोग पर 10-11 जनवरी को काठमांडू में आयोजित भारत-नेपाल अंतर-सरकारी समिति (आईजीसी) की बैठक के दौरान चर्चा में आया।
वाणिज्य मंत्रालय ने कहा, “भारतीय पक्ष ने नेपाल को दूध निर्यात में आने वाली समस्याओं पर प्रकाश डाला। नेपाली पक्ष ने वहां पर्याप्त मात्रा में उत्पादित न होने वाले दूध उत्पादों जैसे मट्ठा और पनीर के लिए भारतीय पक्ष के अनुरोध पर सकारात्मक रूप से विचार करने पर सहमति जताई।”
दोनों पक्षों ने पारगमन संधि और व्यापार संधि की समीक्षा तथा मौजूदा समझौतों में प्रस्तावित संशोधन, मानकों के सामंजस्य और रक्सौल-बीरगंज रेल लाइन के विद्युतीकरण सहित व्यापार बुनियादी ढांचे के विकास पर भी चर्चा की।
इसमें कहा गया कि विचार-विमर्श में पारस्परिक बाजार पहुंच, बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) और सीमा शुल्क से संबंधित मुद्दे शामिल थे।
इसके अलावा, मंत्रालय ने कहा कि नेपाल के अनुरोध पर भारत ने काकरभिट्टा (नेपाल) बंग्लाबंधा (बांग्लादेश) मार्ग से फूलबाड़ी (भारत) के माध्यम से पारगमन में नेपाली मालवाहक वाहनों के लिए अधिकतम धुरा भार सीमा लागू करने पर सहमति व्यक्त की।
भारतीय सड़क परिवहन नियमों के अनुसार, दो-धुरी वाले वाहनों के लिए धुरा भार सीमा 18.5 टन और तीन-धुरी वाले वाहनों के लिए 28 टन होगी।
भारत ने नेपाल को यह भी सूचित किया कि साल के बीज और चायोटे को उसके ‘प्लांट क्वारंटीन ऑर्डर’ में शामिल किया गया है।
इसके अलावा, जटामासी जड़ का अर्क, सुगंधकोकिला बेरी का अर्क, सुगंधवाल प्रकंद का अर्क और तिमुर बेरी के अर्क को भारत के प्रसंस्कृत पादप उत्पादों की सूची में शामिल करने के नेपाल के अनुरोध को स्वीकार कर लिया गया है।
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया और नेपाली पक्ष का नेतृत्व उद्योग, वाणिज्य और आपूर्ति मंत्रालय के सचिव गोविंद बहादुर कार्की ने किया।
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