दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज के कंसोर्टियम से पूछा कि अगर मेडिकल प्रवेश परीक्षा और जेईई जैसी अन्य प्रतियोगी परीक्षाएं हिंदी में आयोजित की जा सकती हैं, तो लॉ स्कूलों में प्रवेश के लिए कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (सीएलएटी) क्यों नहीं, जो वर्तमान में सिर्फ अंग्रेजी भाषा में आयोजित किया जाता है.
अदालत कानून की छात्रा नूपुर थपलियाल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने केवल अंग्रेजी में क्लैट आयोजित करने की प्रथा को चुनौती दी थी. उसने तर्क दिया कि यह अभ्यास मनमाना और भेदभावपूर्ण है, और भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 29 (2) का उल्लंघन करता है. ये भी पढ़ें- Hindi Is Mother Tongue Of Most: हिंदी अधिकांश लोगों की मातृभाषा है, दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में की टिप्पणी
अनुच्छेद 14 कानून के समक्ष समानता की गारंटी देता है, जबकि अनुच्छेद 29(2) अल्पसंख्यकों को अपनी भाषा, लिपि या संस्कृति के संरक्षण के अधिकार की रक्षा करता है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से सहमति व्यक्त की और एनएलयू को हिंदी में सीएलएटी आयोजित करने पर विचार करने के लिए कहा. अदालत ने एनएलयू को तीन सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया.