हैदराबाद, 24 नवंबर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि भारत के भूले गौरव को फिर से स्थापित किया जाना चाहिए।
यहां ‘राष्ट्रवादी विचारकों’ के सम्मेलन लोकमंथन-2024 में बोलते हुए भागवत ने देश के दार्शनिक ज्ञान से समर्थित विज्ञान के महत्व के बारे में बात करते हुए कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग में नैतिकता पर जोर देने वाले वैज्ञानिकों का उदाहरण दिया।
उन्होंने कहा कि भारत की मूल्य प्रणाली व्यक्ति की बुद्धिमत्ता पर जोर देती है और मुद्दों के प्रति भारत के दृष्टिकोण में तर्क और बुद्धिमत्ता शामिल है। उन्होंने कहा कि देश को समस्याओं के प्रति अन्य दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता नहीं है।
भारत विदेशों से अच्छी चीजें ले सकता है लेकिन उसकी अपनी आत्मा और संरचना होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें अपने सनातन धर्म और संस्कृति को समसामयिक स्वरूप देने पर विचार करना होगा।’’
भागवत ने कहा, ‘‘हमें जो करना है वह यह है कि हमें भारत के भूले हुए गौरव को फिर से स्थापित करना है।’’
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने धर्मग्रंथों का उदाहरण देते हुए कहा कि वनवासियों के साथ कभी कोई भेदभाव नहीं था।
केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय कोयला और खान मंत्री जी किशन रेड्डी भी बोलने वालों में शामिल थे।
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