मुंबई, तीन जून यहां एक विशेष पॉक्सो अदालत ने शुक्रवार को 33 वर्षीय एक व्यक्ति को मौत की सजा सुनाई जिस पर 2019 में नौ साल की एक बच्ची के अपहरण, बलात्कार और हत्या का आरोप था।
न्यायाधीश एचसी शिंदे ने आदेश में कहा कि वदिवेल देवेंद्र को मृत्यदंड इसलिए दिया गया है क्योंकि इस व्यक्ति में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है।
विले पार्ले स्थित घर से अप्रैल 2019 में नौ वर्षीय एक लड़की लापता हो गई थी। कुछ घंटों बाद उसका शव एक सेप्टिक टैंक से बरामद हुआ था। पुलिस के अनुसार, सीसीटीवी फुटेज और अन्य साक्ष्यों से हत्या में देवेंद्र के शामिल होने की पुष्टि हुई।
अदालत ने आरोपी को ‘यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण’ (पॉक्सो) अधिनियम तथा भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत दोषी करार दिया।
यह अपराध करने से आठ महीने पहले ही देवेंद्र जेल से छूटा था। उसने 2013 में उसी क्षेत्र में एक नाबालिग का यौन उत्पीड़न किया था जिसके लिए उसे सात साल जेल की सजा मिली थी लेकिन पांच साल बाद उसे रिहा कर दिया गया था।
सजा की अवधि पर बहस करते हुए विशेष लोक अभियोजक वैभव बागड़े ने बृहस्पतिवार को कहा था कि आरोपी ने अपराध की पुनरावृत्ति की जिससे यह पता चलता है कि उसमें सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है।
बचाव पक्ष की वकील सुनंदा नंदवार ने दलील दी थी कि देवेंद्र के विरुद्ध सीधे तौर पर कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है और यह मामला दुर्लभ से भी दुर्लभतम की श्रेणी में नहीं आता इसलिए मृत्युदंड नहीं दिया जाना चाहिए।
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