मुंबई, 16 मई बंबई उच्च न्यायालय ने जे.जे. अस्पताल को निर्देश दिया है कि यौन उत्पीड़न की शिकार 24 हफ्ते की गर्भवती नाबालिग के गर्भपात के बारे में फैसला करने के लिए वह एक मेडिकल बोर्ड का गठन करे।
बोर्ड यह तय करेगा कि नाबालिग की सेहत को जोखिम में डाले बगैर क्या उसका गर्भपात कराया जा सकता है।
नाबालिग ने अदालत को सूचित किया था कि वह मानसिक सदमे की स्थिति में है और पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने की खातिर गर्भपात करवाना चाहती है, जिसके बाद न्यायामूर्ति एस. जे. काथावाला ने शुक्रवार को यह निर्देश दिया।
अदालत नाबालिग की मां की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें कहा गया कि पिछले वर्ष लड़की का यौन उत्पीड़न हुआ था जिसके परिणाम स्वरूप वह गर्भवती हो गई। इसमें उसके गर्भपात की अनुमति मांगी गई।
इसमें बताया गया कि पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज कर लिया है।
याचिका में बताया गया कि लड़की पिछले वर्ष नवंबर में अपने घर से भाग गई थी। वह जनवरी 2020 में लौटी और इस वर्ष मई में उसके गर्भवती होने का पता चला।
अभी लड़की की उम्र 17 वर्ष है।
न्यायमूर्ति काथावाला ने लड़की को निर्देश दिया कि वह शनिवार को चिकित्सीय जांच के लिए बोर्ड के समक्ष पेश हो।
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