इंफाल, छह मई: मणिपुर में हुई जातीय हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 54 हो गई है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. वहीं गैर आधिकारिक सूत्रों के अनुसार हिंसा में बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं और 150 से अधिक घायल हुए हैं. यह भी पढ़ें: Manipur Violence: मणिपुर में हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 54 हुई, धीरे-धीरे सुधर रहे हालात; इंफाल घाटी में ज्यादातर दुकानें और बाजार खुले
इंफाल घाटी में शनिवार को जनजीवन सामान्य होता नजर आया क्योंकि दुकानें एवं बाजार फिर से खुले और सड़कों पर कार भी चलती दिखीं. अधिकारियों ने बताया कि सभी प्रमुख क्षेत्रों और सड़कों पर सेना की अतिरिक्त टुकड़ियों और केंद्रीय पुलिस बल के जवानों की तैनाती के साथ सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया गया है.
शुक्रवार को जिन इलाकों में उग्रवादी समूहों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प हुई थी, वहां सड़कों पर बेरीकेड लगाकर घेराबंदी कर दी गई है. राज्य से बाहर निकलने के प्रयास में इंफाल हवाई अड्डे पर छात्रों समेत बड़ी संख्या में लोग एकत्रित देखे गए.
इस बीच, असम राइफल्स की एक टुकड़ी को इंफाल में सभी नगा छात्रों को रविवार को वापस कोहिमा ले जाने के लिए चुनिंदा जगहों से एकत्रित करने का निर्देश दिया गया है. बुधवार रात भड़के दंगों के पीड़ितों के लिए स्थापित विभिन्न शरणार्थी शिविरों में रह रहे लोगों ने कहा कि कई गांवों में आग लगा दी गई है.
राज्य में लगभग 10,000 सेना, अर्ध-सैन्य और केंद्रीय पुलिस बलों को तैनात किया गया है, जहां बहुसंख्यक मेइती समुदाय, अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के कदम के खिलाफ बुधवार को कुकी और नागा सहित आदिवासियों द्वारा प्रदर्शन किए जाने के बाद दंगा भड़क गया था.
कुल आबादी में मेइती समुदाय करीब 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासियों में नगा और कुकी शामिल हैं और आबादी में इनकी संख्या करीब 40 प्रतिशत है और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं. अधिकारियों ने बताया कि आधिकारिक मृतक संख्या 54 हैं जिनमें से 16 शव चुराचांदपुर जिला अस्पताल के मोर्चरी में रखे गए हैं, जबकि 15 शव इंफाल पूर्वी जिले के जवाहरलाल नेहरू आयुर्विज्ञान संस्थान में रखे गए हैं.
अधिकारी ने कहा कि इंफाल पश्चिम जिले के लाम्फेल में क्षेत्रीय चिकित्सा आयुर्विज्ञान संस्थान ने 23 लोगों के मरने की सूचना दी है. इस बीच, चुराचांदपुर जिले में शुक्रवार रात दो अलग-अलग मुठभेड़ों में पांच उग्रवादी मारे गए और इंडिया रिजर्व बटालियन के दो जवान घायल हो गए. पुलिस ने कहा कि चुराचांदपुर जिले के सैटन में सुरक्षा बलों और उग्रवादियों के बीच मुठभेड़ हुई, जिसमें चार उग्रवादी मारे गए.
पुलिस ने बताया कि टोरबंग में उग्रवादियों ने सुरक्षा बलों पर गोलियां चलाईं, जिसके चलते सुरक्षा बलों को जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी. पुलिस ने बताया कि जवाबी कार्रवाई में एक आतंकवादी मारा गया और आईआरबी के दो जवान घायल हो गए.
एक रक्षा प्रवक्ता ने कहा कि कुल 13,000 लोगों को प्रभावित क्षेत्रों से निकाला गया और सुरक्षित आश्रयों में स्थानांतरित किया गया, कुछ को सेना के शिविरों में भेज दिया गया क्योंकि सेना ने चुराचांदपुर, मोरेह, काकचिंग और कांगपोकपी जिलों को अपने "नियंत्रण" में ले लिया है.
रक्षा अधिकारी ने शुक्रवार रात कहा, "पिछले 12 घंटे में, इंफाल पूर्वी और पश्चिमी जिलों में आगजनी की छिटपुट घटनाएं और असामाजिक तत्वों द्वारा नाकेबंदी करने का प्रयास देखा गया. हालांकि, स्थिति को एक दृढ़ और समन्वित प्रतिक्रिया द्वारा नियंत्रित किया गया है." शव इंफाल पूर्व और पश्चिम, चुराचांदपुर और बिशेनपुर जैसे जिलों से लाए गए हैं. गोली लगने से घायल कई लोगों का इलाज रिम्स और जवाहरलाल नेहरू आयुर्विज्ञान संस्थान में भी चल रहा है.
पीआरओ ने कहा, ‘‘सुरक्षा बलों द्वारा त्वरित प्रतिक्रिया के कारण हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों के विभिन्न अल्पसंख्यक इलाकों से सभी समुदायों के नागरिकों को निकाला गया. नतीजतन, चुराचांदपुर, कांगपोकपी, मोरेह और काकचिंग अब पूरी तरह से नियंत्रण में हैं और कल रात से किसी बड़ी हिंसा की सूचना नहीं है.’’
रक्षा अधिकारी ने कहा, ‘‘कुल लगभग 13,000 नागरिकों को प्रभावित क्षेत्रों से निकाला गया है और वर्तमान में अस्थायी आश्रय स्थलों में रखा गया है.’’ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और शीर्ष अधिकारियों के साथ मणिपुर में स्थिति की समीक्षा की, वहीं केंद्र ने शांति बनाए रखने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल और दंगा रोधी वाहनों को भेजा है.
सूत्रों ने कहा कि लगभग 1,000 और केंद्रीय अर्धसैनिक बल दंगा रोधी वाहनों के साथ शुक्रवार को मणिपुर पहुंचे. पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) के एक प्रवक्ता ने कहा कि मणिपुर जाने वाली ट्रेनों को शुक्रवार को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है.
मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती समुदाय द्वारा उसे अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) की ओर से बुधवार को आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान चुराचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में हिंसा भड़क गई थी.
नगा और कुकी सहित अन्य आदिवासी समुदायों की ओर से इस मार्च का आयोजन मणिपुर उच्च न्यायालय द्वारा पिछले महीने राज्य सरकार को मेइती समुदाय की एसटी दर्जे की मांग पर चार सप्ताह के भीतर केंद्र को एक सिफारिश भेजने का निर्देश देने के बाद किया गया था.
पुलिस के अनुसार, तोरबंग में मार्च के दौरान हथियारबंद लोगों की भीड़ ने कथित तौर पर मेइती समुदाय के सदस्यों पर हमला किया। मेइती समुदाय के लोगों ने भी जवाबी हमले किए, जिससे पूरे राज्य में हिंसा फैल गई.
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