देश की खबरें | मालीवाल से मारपीट का मामला : उच्च न्यायालय ने बिभव कुमार की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

नयी दिल्ली, 10 जुलाई दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह इस बारे में आदेश 12 जुलाई को सुनाएगा कि आम आदमी पार्टी (आप) की राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल के साथ कथित मारपीट मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सहायक बिभव कुमार को जमानत दी जाए या नहीं।

न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने कुमार के वकील तथा दिल्ली पुलिस एवं मालीवाल की ओर से पेश वकीलों की दलीलें सुनने के बाद कुमार की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया।

न्यायमूर्ति ने कहा, ‘‘फैसला शुक्रवार के लिए सुरक्षित रखा जाता है।’’

पुलिस की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि जांच जारी है और 16 जुलाई को या उससे पहले आरोपपत्र दाखिल कर दिया जाएगा।

पुलिस का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता संजय जैन ने कहा, ‘‘ 16 जुलाई को या इससे पहले हम आरोपपत्र दाखिल कर देंगे। हम जांच के मध्य में हैं।’’

सुनवाई के दौरान मालीवाल भी अदालत में मौजूद थीं। उन्होंने कहा कि घटना के बाद से उन्हें धमकियां दी जा रही हैं, उनका मखौल उड़ाया जा रहा है और उन्हें शर्मसार करने की कोशिश की जा रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘न केवल मुझ पर नृशंसता से हमला किया गया बल्कि जीवन भर की प्रतिष्ठा भी छीन ली गई।’’

मालीवाल ने कहा कि घटना के बाद उनकी अपनी ही पार्टी के कई मंत्रियों ने और यहां तक मुख्यमंत्री ने खुलकर आरोपी का समर्थन किया और दावा किया कि ‘मेरे द्वारा दर्ज कराया गया मुकदमा फर्जी’ है।

कुमार के वकील ने दलील दी कि जांच पूरी हो गई है और इसलिए उनके मुवक्किल को हिरासत में रखने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘उनकी हिरासत को 54 दिन हो गए हैं। सभी जरूरी जांच पूरी हो चुकी है। यह सुनवाई से पहले सजा की तरह है।’’

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव के पास सांसद पर हमला करने का कोई वाजिब कारण भी नहीं था ऐसे में वह हमला क्यों करेंगे।

कुमार ने वकील ने दलील दी, ‘‘बिना कारण राजनीतिक सचिव हमला करेंगे यह पूरी तरह से अकल्पनीय है.... मेरा मानना है कि यह महज अहम का सवाल है।’’

उन्होंने दलील दी कि उनके मुवक्किल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा-308 (गैर इरादतन हत्या की कोशिश) के तहत मामला दर्ज नहीं किया गया और न ही पुलिस ने गिरफ्तारी से पहले उन्हें नोटिस दिया।

पुलिस ने कहा कि ऐसी आशंका थी कि याचिकाकर्ता जांच को प्रभावित कर सकता है तथा साक्ष्यों से छेड़छाड़ कर सकता है। अदालत को यह भी आश्वासन दिया गया कि कुमार को सभी कानूनों का अनुपालन करते हुए गिरफ्तार किया गया है।

कुमार इस समय न्यायिक हिरासत में हैं। उन पर 13 मई को केजरीवाल के आधिकारिक आवास में मालीवाल से मारपीट करने का आरोप है। कुमार को 18 मई को गिरफ्तार किया गया था।

कुमार के खिलाफ 16 मई को भारतीय दंड संहिता की सुसंगत धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी और तीस हजारी अदालत ने सात जून को उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था।

कुमार की सबसे पहली जमानत अर्जी 27 मई को एक अन्य सत्र न्यायालय ने खारिज कर दी थी।

याचिका में कुमार ने कहा कि मौजूदा मामला फौजदारी कानून के दुरुपयोग का ‘सबसे आदर्श उदाहरण’ है क्योंकि उन्होंने और मालीवाल ने एक दूसरे के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी परंतु सांसद की शिकायत पर ही जांच की जा रही है।

अर्जी में कहा गया, ‘‘शिकायतकर्ता प्रभावशाली व्यक्ति है, वह राज्यसभा की सदस्य हैं और याचिकाकर्ता की शिकायत पर उनके खिलाफ जांच नहीं की गई जबकि मुख्यमंत्री के शिविर कार्यालय में तैनात अधिकारियों ने घटना के दिन रिपोर्ट दी कि शिकायतकर्ता ने नियमों का उल्लंघन किया।’’

उच्च न्यायालय की एक अन्य पीठ ने कुमार द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने के लिए दाखिल याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।

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