मुंबई, तीन नवंबर मालेगांव बम धमाके के एक पीड़ित ने बंबई उच्च न्यायालय से मामले के एक आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित की उस याचिका में हस्तक्षेप की इजाजत मांगी है जिसमें पुरोहित ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को रद्द करने की मांग की है।
न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक ने मंगलवार को पीड़ित निसार अहमद बिलाल के अधिवक्ता बीए देसाई की दलील सुनी और कहा कि आवेदन पर 25 नवंबर को विस्तार से सुनवाई की जाएगी।
पुरोहित की ओर से पेश पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने बिलाल के आवेदन का विरोध किया।
रोहतगी ने कहा कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) दंड प्रक्रिया संहित की धारा 197 के तहत उनके मुवक्किल के खिलाफ अभियोजन चलाने के लिए पूर्व मंजूरी लेने में विफल रही इसलिए पुरोहित अपने खिलाफ आरोपों को खारिज करने की मांग की है। चूंकि याचिका मंजूरी लेने की प्रक्रिया से संबंधित है इसलिए इसमें दखल देने का अधिकार पीड़ित को नहीं है।
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इस पर देसाई ने पीठ से अनुरोध किया कि इस मामले में उनके मुवक्किल को पक्षकार बनाया जाए और हस्तक्षेप का आवेदन स्वीकार किया जाए क्योंकि पीड़ित को सुनवाई का हक है।
बिलाल ने याचिका में कहा है कि मालेगांव बम धमाके में उनके बेटे की जान चली गई इसलिए वह इस मामले में एक पीड़ित पक्ष हैं और उन्हें सुनवाई का अधिकार है।
पुरोहित ने इस वर्ष सितंबर में उच्च न्यायालय से अपने खिलाफ लगे आरोपों को खारिज करने की मांग की थी।
महाराष्ट्र में नासिक जिले के मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के निकट हुए बम धमाके में छह लोगों की मौत हुई थी जबकि 100 अन्य घायल हो गए थे। इस मामले में पुरोहित को वर्ष 2009 में गिरफ्तार किया गया था।
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