मुंबई, 24 नवंबर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने रविवार को कहा कि सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के नेता और भाजपा का नेतृत्व यह तय करेगा कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा।
बावनकुले ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि महाराष्ट्र की जनता ने कांग्रेस को खारिज कर दिया है और इसकी प्रदेश इकाई के प्रमुख नाना पटोले महज 208 मतों के अंतर से चुनाव जीते हैं।
महाराष्ट्र में 288-सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए चुनाव में महायुति गठबंधन ने 230 सीट जीतकर सत्ता बरकरार रखी। चुनाव परिणाम शनिवार को घोषित किए गए।
महायुति गठबंधन में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना और उपमुख्यमंत्री अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) भी शामिल हैं।
विपक्षी महा विकास आघाडी (एमवीए) गठबंधन सिर्फ 46 सीट ही जीत सका। एमवीए में कांग्रेस, राकांपा (शरदचंद्र पवार) और शिवसेना (उबाठा) शामिल हैं।
भाजपा को 132 सीट मिलीं, शिवसेना को 57, जबकि राकांपा को 41 सीट मिलीं।
एमवीए में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के उम्मीदवारों ने 10 सीट जीतीं, कांग्रेस ने 16 सीट जीतीं, जबकि शिवसेना (उबाठा) ने 20 सीट पर जीत दर्ज की।
बावनकुले ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में समाज के सभी वर्गों ने भाजपा का समर्थन किया।
राज्य के अगले मुख्यमंत्री को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘इस संबंध में निर्णय महायुति के नेताओं और भाजपा संसदीय बोर्ड द्वारा लिया जाएगा।’’
उन्होंने कहा कि चयन प्रक्रिया गठबंधन की शासन योजना के अनुरूप होगी।
बावनकुले ने कहा कि महाराष्ट्र की जनता ने कांग्रेस को ‘‘खारिज’’ कर दिया है। उन्होंने कहा कि पटोले को अपने कुछ सहयोगियों की बात पर ध्यान देना चाहिए, जो प्रदेश कांग्रेस प्रमुख के पद से उनका इस्तीफा मांग रहे हैं।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि विधानसभा में विपक्ष के नेता पद के लिए किसी भी पार्टी को पर्याप्त सीट नहीं मिलने के लिए कांग्रेस के ‘‘झूठ’’ को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन की भारी जीत के बाद राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता का पद किसी को नहीं मिल सकेगा, क्योंकि सत्तारूढ़ गठबंधन के बाहर कोई भी दल इसके लिए अनिवार्य 29 सीट हासिल नहीं कर सका है।
बावनकुले ने कहा, ‘‘इस विधानसभा चुनाव में जनता का जनादेश कांग्रेस के खिलाफ है। महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष का नेता न होना कांग्रेस के कर्म का फल है।’’
उन्होंने कांग्रेस की पिछली सफलताओं, विशेषकर इस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव का उल्लेख करते हुए दावा किया कि विपक्षी दल लोगों को गुमराह कर रहा है।
बावनकुले ने कहा, ‘‘कांग्रेस लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान लोगों को मूर्ख बनाने में सफल रही, लेकिन इस विधानसभा चुनाव में वह उस सफलता को दोहराने में विफल रही।’’
उन्होंने पटोले पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस नेता मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे थे, लेकिन वह किसी तरह डाक मतपत्रों की मदद से अपनी सीट जीतने में कामयाब रहे।
भाजपा नेता ने कहा, ‘‘यदि वह इस परिणाम से सबक नहीं सीखते हैं, तो अगले विधानसभा चुनाव के बाद वह सदन में नहीं रहेंगे।’’
बावनकुले ने कहा कि भाजपा महाराष्ट्र में एक बड़ा सदस्यता अभियान शुरू करने की योजना बना रही है।
भाजपा नेता ने भविष्य में होने वाले चुनावों को लेकर पार्टी का विस्तार करने की वकालत करते हुए कहा, ‘‘हमारा लक्ष्य पार्टी में 1.51 करोड़ नए प्राथमिक सदस्यों को शामिल करना है। हम चाहते हैं कि सामाजिक और धार्मिक क्षेत्रों में सक्रिय लोग हमारे साथ जुड़ें। इससे हमारी सदस्यता बढ़ाने में मदद मिलेगी। पार्टी में शामिल किए गए नए सदस्यों को सरकारी योजनाओं और नीतियों के बारे में जानकारी मिलेगी, जिससे राज्य में हमारी मौजूदगी मजबूत होगी।’’
इस्लामिक विद्वान सज्जाद नोमानी द्वारा मुसलमानों से एमवीए को वोट देने की अपील और उसके बाद उनकी माफी के बारे में पूछे जाने पर बावनकुले ने कहा कि कुछ लोगों ने भाजपा को निशाना बनाने के लिए समाज को धार्मिक आधार पर बांटने की कोशिश की।
बावनकुले ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि ये हथकंडे लोकसभा चुनावों में उनके (विपक्ष के) पक्ष में काम कर गए। लेकिन, जब जनता को पता चला कि कांग्रेस ने भाजपा की सत्ता में वापसी में बाधा डालने के लिए ऐसे विभाजनकारी लोगों के साथ गठबंधन किया है, तो उनकी भावनाएं बदल गईं। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के प्रयास विफल रहे।’’
भाजपा नेता ने कहा कि लोगों ने इस तरह की साजिशों को खारिज करते हुए निर्णायक जनादेश दिया है, ऐसे में नोमानी की माफी का अब कोई महत्व नहीं रह गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘महाराष्ट्र के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नारे 'एक हैं तो सेफ हैं' के साथ खड़े होने का फैसला किया।’’
महाराष्ट्र के मतदाताओं के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता को स्वीकार करते हुए बावनकुले ने कहा कि उनकी रैलियों की जबरदस्त मांग थी, जिसमें 18 नवंबर को चुनाव प्रचार का अंतिम दिन भी शामिल था।
हालांकि, ये अनुरोध पूरे नहीं हो सके, क्योंकि आदित्यनाथ की झारखंड में रैलियां निर्धारित थीं, जहां 20 नवंबर को विधानसभा चुनाव का दूसरा चरण होना था।
बावनकुले ने कहा कि चाहे लोकसभा चुनाव हो या राज्य विधानसभा चुनाव, आदित्यनाथ की रैलियों की मांग बहुत अधिक है।
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