नयी दिल्ली, 16 सितंबर कांग्रेस ने अदाणी समूह द्वारा महाराष्ट्र में 6,600 मेगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा और ताप बिजली की आपूर्ति की सफल बोली लगाने को लेकर सोमवार को राज्य की ‘महायुति’ सरकार पर निशाना साधा और सवाल किया क्या इन रेवड़ियों का जनता पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि भारतीय जनता पार्टी, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का ‘महायुति’ गठबंधन भले ही आगामी विधानसभा चुनाव में करारी हार की ओर अग्रसर है, लेकिन वह अपने आखिरी दिनों में अदाणी समूह के कारोबार को मदद पहुंचाने में जुटी है।
अदाणी समूह ने महाराष्ट्र को दीर्घावधि के लिए 6,600 मेगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा और ताप बिजली की आपूर्ति की बोली जीत ली है। कंपनी ने इसके लिए 4.08 रुपये प्रति यूनिट की बोली लगाई और जेएसडब्ल्यू एनर्जी और टॉरेंट पावर कंपनी को पीछे छोड़ दिया। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
दो सूत्रों ने बताया कि 25 साल के लिए नवीकरणीय और ताप बिजली दोनों की आपूर्ति के लिए अदाणी समूह की बोली महाराष्ट्र द्वारा फिलहाल खरीदी जा रही बिजली की दर से एक रुपये यूनिट कम है। इससे राज्य को भविष्य की बिजली जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी।
रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘यह तय है कि आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति सरकार करारी हार के साथ सत्ता से बाहर होने जा रही है, लेकिन उन्होंने अपने आख़िरी के कुछ दिनों में अदाणी के कारोबार को लाभ पहुंचाने का फैसला किया है। उनकी कृपा से अदाणी समूह को एक बड़ा बिजली आपूर्ति अनुबंध मिला है। नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री से उनके इस नए ‘ज्वाइंट वेंचर’ पर हमारे 5 सवाल हैं।’’
उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या यह सच नहीं है कि 13 मार्च, 2024 को 1600 मेगावाट थर्मल और 5000 मेगावाट सौर ऊर्जा की बोली में प्रतिस्पर्धा को कम करने लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी निविदा के नियम और शर्तें को मानक दिशानिर्देशों से हटकर संशोधित किया गया?
उन्होंने कहा, ‘‘ कोयला आधारित 1600 मेगावाट बिजली का टैरिफ लगभग 12 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट है। यह ऐसे समय में है जब अदाणी ने स्वयं बीएचईएल के साथ 7 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट से कम पर अनुबंध किया है और एनटीपीसी/डीवीसी/नेवेली लिग्नाइट कॉरपोरेशन जैसे अन्य प्रदाता 8-9 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट पर बड़ी ताप परियोजना कार्यान्वित कर रहे हैं।’’
रमेश ने सवाल किया, ‘‘यह यह सच नहीं है कि परियोजना लागत के 28,000 करोड़ रुपये पूरी तरह से महाराष्ट्र सरकार के विद्युत मंत्रालय के नियंत्रण वाली एजेंसियों द्वारा दिए जाएंगे? क्या यह सच नहीं है कि अदाणी समूह को बांटी गई इन रेवड़ियों से महाराष्ट्र राज्य के 2.7 करोड़ उपभोक्ताओं पर शुल्क का भारी बोझ पड़ेगा?
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