मैग्नेशियम मिश्र धातु ले सकता है ऐल्युमीनियम की जगह
जियो

नयी दिल्ली, 26 मई आईआईटी, मद्रास, नॉर्थ टेक्सास विश्वविद्यालय और यूएस आर्मी रिसर्च लैबोरेटरी के शोधार्थियों ने मैग्नेशियम का एक ऐसा मिश्रधातु बनाया है, जो ऑटोमोबाइल उद्योग में स्टील और ऐल्युमीनियम की जगह ले सकता है तथा इससे वाहनों में कम ईंधन की जरूरत होगी।

शोधार्थियों ने बताया कि बनावट संबंधी कल-पुर्जों में पिटवा मैग्नेशियम मिश्रधातु का मौजूदा औद्योगिक उपयोग उनकी कम मजबूती, कम लचीलापन, अधिक खिंचाव नहीं बर्दाश्त कर पाने का अभाव आदि के चलते बहुत सीमित है। जबकि उनका घनत्व ऐल्युमीनियम का एक-तिहाई और इस्पात का एक चौथाई है।

आईआईटी, मद्रास में मेकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर सुशांत कुमार पणिग्रही के मुताबिक नया मिश्रधातु मजबूत, काफी लचीला और ‘सुपरप्लास्टीसिटी’ गुण वाला है। यह सुपरप्लास्टिसिटी अधिक तापमान पर हासिल किया जाता है, जो विनिर्माण में लगने वाला समय घटाता है।

इसमें अलावा, यह काफी हल्का भी होता है, जो वाहनों के ‘कार्बन फुटप्रिंट’ को कम करेगा। ‘कार्बन फुटप्रिंट’, किसी व्यक्ति, संगठन या समुदाय की गतिविधियों से वायुमंडल में उत्सर्जित की जाने वाली कार्बन डाइऑक्साइड की कुल मात्रा होती है। हल्के वाहनों को कम ईंधन की जरूरत होती है और इसलिए यह अधिक ईंधन दक्ष है। साथ ही, वाहन एवं विमान निर्माण उद्योग परंपरागत धातु या मिश्रधातु की जगह वैकल्पिक उन्नत हल्के मिश्रधातु की तलाश कर रहे हैं।

पणिग्रही ने कहा कि कम ईंधन खर्च करने वाले सबसे हल्के मिश्रधातुओं में शामिल मैग्नेशियम मिश्रधातु वाहन एवं विमान के कल-पुर्जों में इस्पात एवं ऐल्युमीनियम की जगह ले सकता है क्योंकि उसका घनत्व ऐल्युमीनियम का दो तिहाई और इस्पात का एक चौथाई है।

यह अध्ययन जर्नल मेटेरियल रिसर्च लेटर्स में भी प्रकाशित हुआ है।

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