भोपाल, 30 मार्च मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम-2021 गजट अधिसूचना के बाद तत्काल प्रभाव से प्रदेश में लागू हो गया है। यह जानकारी मंगलवार को एक अधिकारी ने दी है।
मालूम हो कि जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाओं पर लगाम लगाने के लक्ष्य से मध्य प्रदेश विधानसभा में आठ मार्च को ‘मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2021’ पारित किया गया था। इस विधेयक में शादी तथा किसी अन्य कपटपूर्ण तरीके से किए गए धर्मांतरण के मामले में अधिकतम 10 साल कैद और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
मध्य प्रदेश गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा ने मंगलवार को बताया, ‘‘मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम-2021 गजट नोटिफिकेशन के बाद तत्काल प्रभाव से प्रदेश में लागू हो गया है। मध्य प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की अनुमति के बाद मध्यप्रदेश राजपत्र (असाधारण) में 27 मार्च 2021 को प्रकाशित हो गया है।’’
वहीं, मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम में एक धर्म से अन्य धर्म में विधि विरूद्ध संपरिवर्तन का प्रतिषेध, धर्म संपरिवर्तन के विरूद्ध परिवाद, धारा के उपबंधों के उल्लंघन के लिये दण्ड आदि का प्रावधान किया गया है।’’
उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति का धर्म संपरिवर्तन करने के आशय के साथ किया गया विवाह निरस्त तथा शून्य होगा। इस संबंध में संपरिवर्तित व्यक्ति अथवा उसके माता-पिता या सहोदर भाई या बहन या न्यायालय की अनुमति से किसी व्यक्ति जो रक्त, विवाह या दत्तक ग्रहण संरक्षकता या अभिरक्षा जो भी लागू हो, द्वारा स्थानीय सीमाओं के भीतर न्यायालय में याचिका प्रस्तुत कर सकेंगे।
उन्होंने कहा कि अधिनियम के अनुसार जहाँ कोई संस्था या संगठन इस अधिनियम के किसी उपबंध का उल्लंघन करता है, वहाँ यथास्थिति ऐसी संस्था अथवा संगठन के कामकाज का भारसाधक व्यक्ति इस अधिनियम की धारा में यथा उपबंधित दण्ड का दायी होगा।
अधिकारी ने बताया कि इस अधिनियम के अधीन पंजीकृत अपराध की जांच पुलिस उप निरीक्षक से निम्न पद श्रेणी के पुलिस अधिकारी द्वारा नहीं की जाएगी।
उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति जो धर्म-सपंरिवर्तित करना चाहता है, इस कथन के साथ कि वह स्वयं की स्वतंत्र इच्छा से तथा बिना किसी बल, प्रपीड़न, असम्यक असर या प्रलोभन से अपना धर्म-संपरिवर्तन करना चाहता है, जिला मजिस्ट्रेट को चिन्हित प्ररूप में ऐसे धर्म-संपरिवर्तन से 60 दिवस पूर्व, इस आशय की घोषणा प्रस्तुत करेगा।
अधिकारी ने बताया कि इस अधिनियम के अनुसार नियमों के उल्लंघन से किये गये विवाह से जन्मा कोई बच्चा वैध समझा जाएगा। ऐसे बच्चे का संपत्ति का उत्तराधिकार पिता के उत्तराधिकार को विनियमित करने वाली विधि के अनुसार होगा। नियमानुसार घोषित शून्य और अकृत विवाह से जन्में बच्चे को अपने पिता की सम्पत्ति में अधिकार प्राप्त रहेगा। शून्य और अकृत विवाह घोषित होने के बावजूद महिला और जन्म लेने वाली संतान अधिनियम अनुसार भरण-पोषण पाने के हकदार होंगे।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)