ताजा खबरें | मणिपुर के मुद्दे पर लोकसभा की कार्यवाही बाधित, शोर-शराबे के बीच तीन विधेयक पारित

नयी दिल्ली, एक अगस्त मणिपुर के मुद्दे पर संसद में मानसून सत्र के प्रारंभ से जारी गतिरोध अब भी बरकरार है। मंगलवार को विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के कारण लोकसभा की कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी।

विपक्षी दलों के सदस्यों के शोर-शराबे के बीच ही निचले सदन में तीन विधेयक पारित हुए और एक विधेयक पेश किया गया।

लोकसभा में जिन तीन विधेयकों को मंजूरी दी गई उनमें ‘जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2023, ‘अपतट क्षेत्र खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2023 और ‘संविधान अनुसूचित जातियां आदेश संशोधन विधेयक, 2023’ शामिल हैं।

वहीं, विवादास्पद ‘राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक 2023’ निचले सदन में पेश किया गया। इस विधेयक को पेश किये जाने का विपक्षी दलों ने विरोध किया।

एक बार के स्थगन के बाद अपराह्न दो बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने पर पीठासीन सभापति राजेन्द्र अग्रवाल ने आवश्यक कागजात सभापटल पर रखवाये। इस दौरान विपक्षी सदस्यों ने मणिपुर का मुद्दा उठाया।

इसके बाद गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने गृह मंत्री अमित शाह की ओर से ‘राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक 2023’ पेश किया। विधेयक पेश किये जाने का कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, शशि थरूर एवं गौरव गोगोई, आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय और एआईएमआईएम के असदुद्दीन औवैसी ने विरोध किया।

विधेयक पर लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि संविधान ने सदन को संपूर्ण अधिकार दिया है कि वह दिल्ली राज्य के लिए कोई भी कानून ला सकता है।

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के हवाले से इसे पेश किये जाने का विरोध किया जा रहा है लेकिन उसी आदेश के पैरा 6, पैरा 95 में शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया है कि संसद, दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के लिए कोई कानून बना सकती है।

शाह ने कहा कि विधेयक पेश किये जाने के खिलाफ सारी आपत्तियां राजनीतिक हैं और इनका कोई संवैधानिक आधार नहीं है, संसद के नियमों के तहत भी इनका कोई आधार नहीं है।

इसके बाद सदन ने ध्वनिमत से विधेयक पेश किये जाने की मंजूरी दे दी।

इससे पहले, विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वह सदन के नियमों एवं प्रक्रियाओं के नियम 72 के तहत इसका विरोध कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत सेवा संबंधी विषय राज्य के अधीन होना चाहिए, ऐसे में यह विधेयक अमल में आने पर दिल्ली राज्य की शक्ति को ले लेगा।

आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि वह इस विधेयक को पेश किये जाने का तीन बिन्दुओं पर विरोध कर रहे हैं। इसमें पहला सदन के नियमों एवं प्रक्रियाओं के नियम 72 के तहत है।

उन्होंने कहा कि इस सदन को इस प्रकार का कानून बनाने की विधायी शक्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि यह संघवाद के सिद्धांतों के खिलाफ है और दिल्ली राज्य की शक्तियों को कमतर करने वाला है।

प्रेमचंद्रन ने कहा कि इस विधेयक को लाने का मकसद उच्चतम न्यायालय के फैसले को पलटने का प्रयास है।

विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने चुटीली टिप्पणी की कि सबसे पहले वह विपक्ष के शुक्रगुजार हैं कि बगैर प्रधानमंत्री के सदन में आए, उन्होंने कार्यवाही चलने दी।

उन्होंने कहा कि एक सामान्य विधेयक के माध्यम से संविधान में संशोधन नहीं किया जा सकता है तथा यह अधिकारों के विभाजन के सिद्धांतों के भी खिलाफ है।

तृणतूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि वह इस विधेयक को पेश किये जाने का विरोध कर रहे हैं क्योंकि यह संसद की विधायी शक्ति से बाहर का विषय है।

उन्होंने कहा कि यह उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ है और पूरी तरह से मनमाना है।

कांग्रेस के गौरव गोगोई ने कहा कि यह विधेयक पूरी तरह से गैर कानूनी है।

कांग्रेस के ही शशि थरूर ने कहा कि यह दिल्ली सरकार को कमतर करने का प्रयास है तथा संविधान सम्मत संघवाद के सिद्धांत को कमतर करता है।

हालांकि, बीजू जनता दल (बीजद) के पिनाकी मिश्रा ने कहा कि सरकार जो विधेयक लेकर आई है, वह पूरी तरह से विधायी शक्ति के अधीन है।

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के तहत भी ऐसा किया जा सकता है।

मिश्रा ने विरोध करने वाले दलों के सदस्यों से कहा कि आप इसके (विधेयक) खिलाफ मतदान कर सकते हैं लेकिन इसे पेश करने को चुनौती नहीं दे सकते हैं।

विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उनसे कहा, ‘‘पूरा देश देख रहा है, आप संसद में इस तरह का व्यवहार कर रहे हैं जो उचित नहीं है।’’

बिरला ने कहा, ‘‘मैं आपको चर्चा के दौरान पर्याप्त मौका दूंगा।’’

सदस्यों का शोर-शराबा जारी रहने पर लोकसभा अध्यक्ष ने करीब 2 बजकर 40 मिनट पर सदन की कार्यवाही 3 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

निचले सदन की कार्यवाही तीन बजे प्रारंभ होने पर स्थिति ज्यों की त्यों बनी रही। विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे और नारेबाजी के बीच ही सदन ने तीन विधेयकों... ‘जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2023, ‘अपतट क्षेत्र खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2023 और ‘संविधान अनुसूचित जातियां आदेश संशोधन विधेयक, 2023’ को मंजूरी दी।

व्यवस्था बनते नहीं देख पीठासीन सभापति राजेन्द्र अग्रवाल ने अपराह्न चार बजे सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी।

आज सुबह कार्यवाही शुरू होने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने जैसे ही प्रश्नकाल शुरू कराया, उसी समय विपक्षी दलों के सदस्य मणिपुर के मुद्दे पर जल्द चर्चा कराने और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जवाब की मांग करते हुए हंगामा करने लगे। हाथों में तख्तियां लिए हुए कई विपक्षी सांसद आसन के निकट पहुंचकर नारेबाजी करने लगे।

हंगामे के बीच ही पंचायती राज्य मंत्री कपिल पाटिल और कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने अपने मंत्रालयों से संबंधित पूरक प्रश्नों के उत्तर दिए।

सदन में नारेबाजी लगातार जारी रहने पर बिरला ने सदन की कार्यवाही 11 बजकर करीब 15 मिनट पर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) के अन्य घटक दल मानसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर में जातीय हिंसा के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद में वक्तव्य देने और इस मुद्दे पर चर्चा कराए जाने की मांग कर रहे हैं। इस मुद्दे पर हंगामे के कारण दोनों सदनों में कार्यवाही अब तक बाधित रही है।

कांग्रेस ने मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर संसद में जारी गतिरोध के बीच गत बुधवार को लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, जिस पर सदन में चर्चा के लिए मंजूरी दे दी गई थी। उस दिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा था कि वह सभी दलों के नेताओं से बातचीत करने के बाद इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तिथि तय करेंगे।

लोकसभा में विपक्ष द्वारा पेश अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा 8 से 10 अगस्त तक होगी और चर्चा के अंतिम दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जवाब देने की संभावना है। इस आशय का निर्णय लोकसभा की कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक में लिया गया।

संसद के मानसून सत्र की 20 जुलाई से शुरूआत होने के बाद से ही दोनों सदनों में मणिपुर हिंसा का मुद्दा छाया हुआ है और इस मुद्दे पर विपक्षी दलों के सदस्यों के शोर-शराबे के कारण कार्यवाही बाधित हुई है।

मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने की घटना का वीडियो सामने आने के बाद इस घटना के खिलाफ देशभर में आक्रोश देखा गया है।

इस मुद्दे पर विपक्षी दलों के संसदीय शिष्टमंडल ने हाल में मणिपुर का दौरा किया है।

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