नयी दिल्ली, दो अगस्त एक अधिवक्ता ने देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एस ए बोबडे को पत्र लिखकर मुसलमानों में प्रचलित निकाह हलाला और बहुविवाह जैसी प्रथाओं को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जल्द सुनवाई किए जाने का अनुरोध किया है।
प्रधान न्यायाधीश के अलावा न्यायमूर्ति बी आर गवई तथा न्यायमूर्ति सूर्यकांत की तीन सदस्यीय पीठ ने दो दिसंबर 2019 को रजिस्ट्री को निर्देश दिया था कि इस मामले को सर्दियों की छुट्टियों के तुरंत बाद किसी उपयुक्त पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करें।
अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि मामले की जल्द से जल्द सुनवाई की जानी चाहिए क्योंकि यह मुद्दा सार्वजनिक महत्व, लैंगिक न्याय, लैंगिक समानता और महिलाओं की गरिमा से संबंधित है।
उच्चतम न्यायालय ने जुलाई 2018 में याचिका पर विचार किया था और इस मामले को एक संविधान पीठ को सौंप दिया। संविधान पीठ को पहले ही इसी तरह की विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई करने को कहा गया है।
याचिकाकर्ता के अनुसार बहुविवाह पर प्रतिबंध लोक व्यवस्था और स्वास्थ्य के मद्देनजर लंबे समय से समय की मांग रही है।
न्यायालय ने फरजाना द्वारा दायर याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था और उपाध्याय की याचिका को संविधान पीठ द्वारा सुनवाई की जाने वाली विभिन्न याचिकाओं के साथ संलग्न कर दिया था।
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