नयी दिल्ली, 30 जुलाई स्वास्थ्य मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत की आबादी को देखते हुए हर्ड इम्युनिटी (सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता) रणनीतिक विकल्प नहीं हो सकता। मंत्रालय ने लोगों से अपील की है कि जब तक कोविड-19 का टीका नहीं बन जाता तब तक इस संबंध में उचित आचार-व्यवहार का पालन करना होगा।
स्वास्थ्य मंत्रालय में विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) राजेश भूषण से जब एक प्रेस वार्ता में पूछा गया कि क्या भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ हर्ड इम्युनिटी विकसित हो रही है तो उन्होंने जवाब दिया कि सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता कोविड-19 जैसी संक्रामक बीमारी से परोक्ष बचाव का एक तरीका है।
उन्होंने कहा कि यह तभी विकसित होती है जब आबादी के किसी हिस्से में या तो टीकाकरण से या पहले ही हो चुके संक्रमण से रोग प्रतिरक्षा शक्ति विकसित होती है।
भूषण ने कहा, ‘‘भारत जैसी जनसंख्या वाले किसी देश में हर्ड इम्युनिटी रणनीतिक विकल्प नहीं हो सकता। यह केवल एक परिणाम हो सकता है और वह भी बड़ी भारी कीमत पर यानी लाखों लोग संक्रमित हों, अस्पताल में भर्ती हों और जब इस प्रक्रिया में कई लोगों की मृत्यु हो जाए।’’
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उन्होंने कहा कि हर्ड इम्युनिटी टीकाकरण के माध्यम से हासिल हो सकती है लेकिन यह भविष्य की बात है।
ओएसडी ने कहा, ‘‘क्या हम हर्ड इम्युनिटी की ओर बढ़ रहे हैं? स्वास्थ्य मंत्रालय का मानना है कि यह स्थिति अभी दूर है और भविष्य की बात है। फिलहाल हमें मास्क पहनने, एक जगह अधिक संख्या में जमा होने से बचने, हाथ साफ करने और दो गज की दूरी बनाकर रखने जैसे उचित तौर-तरीकों का पालन करना होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जब तक टीका नहीं बन जाता, कोविड-19 से बचने के तौर-तरीकों का पालन ही इस महामारी के खिलाफ सामाजिक टीका है।’’
अधिकारी ने कहा कि कोविड-19 के लिए स्वदेश निर्मित दो टीकों के मनुष्य पर परीक्षण के पहले और दूसरे चरण शुरू हो गये हैं।
भूषण ने यह भी कहा कि सरकार ने अब तक 50 लाख रुपये की कोविड-19 बीमा योजना के तहत 131 दावे प्राप्त किये हैं और 20 मामलों में भुगतान किया भी जा चुका है।
उन्होंने कहा, ‘‘क्लेम आने में देरी हो रही है क्योंकि शुरू में परिवार पहले ही सदमे में हैं और हस्ताक्षर करने और जरूरी कागजी प्रक्रिया पूरी होने में समय लग रहा है।’’
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