इस बीच ब्रिटेन की राजधानी लंदन में हालात अपेक्षाकृत काफी बेहतर हैं. यहां टेम्स नदी के निकट मौसमी बाजार में लोग मदिरा का सेवन करते दिख रहे हैं, जबकि निकटवर्ती नेशनल थियेटर में भी दर्शकों की भरमार है. शहर के दूसरे हिस्सों में भी चहल-पहल देखी जा सकती हैं. हालांकि महामारी के दौरान ऐसा पहली बार नहीं है जब ब्रिटेन में हालात पड़ोसी देशों से अलग हों, लेकिन इस बार लोग पहले की तरह घबराए हुए नहीं दिख रहे हैं. ब्रिटेन में अब तक तीन बार राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगाया जा चुका है और यूरोप में कोविड-19 से रूस के बाद ब्रिटेन में ही सबसे अधिक करीब 1,45,000 लोगों की मौत हुई है.
दूसरी ओर नीदरलैंड, बेल्जियम, जर्मनी, ऑस्ट्रिया और चेक गणराज्य समेत कई देशों में संक्रमण के मामलों में वृद्धि के चलते अस्पतालों को संघर्ष करते देखा जा रहा है. मामलों में वृद्धि के कारण इन देशों में लॉकडाउन और पाबंदियां लागू की गई हैं. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इन देशों में संक्रमण के मामलों में वृद्धि को देखते हुए आगाह किया है कि ''पूरब से चली लहर'' ब्रिटेन में क्रिसमस के रंग को फीका कर सकती है. हालांकि कई वैज्ञानिकों ने कहा है कि लहर अब दूसरी दिशा में बह रही है. यह भी पढ़ें : COVID-19 Update: कर्नाटक मेडिकल कॉलेज में कोविड के मामले बढ़कर 182 हुए
ईस्ट एंजिला यूनिवर्सिटी मे मेडिसिन के प्रोफेसर पॉल हंटर ने कहा, ''हम इस लहर में यूरोप के पीछे नहीं है. वे हमारे पीछे हैं.'' वायरस के बेहद संक्रामक स्वरूप ‘डेल्टा’ के प्रसार के चलते यूरोपीय देशों में संक्रमण के मामलों में जोरदार वृद्धि देखी जा रही है. गर्मी के दौरान ब्रिटेन भी इस स्वरूप का सामना कर चुका है. इस लहर के बाद ब्रिटेन में सभी शेष पाबंदियां हटा दी गईं थीं और अर्थव्यवस्था तथा आम जन-जीवन पटरी पर लौटने लगा था.