तिरुवनंतपुरम, 27 दिसंबर केरल में ‘कलेक्टर ब्रो’ नाम से मशहूर आईएएस (भारतीय प्रशासनिक अधिकारी) अधिकारी एन प्रशांत ने उनके खिलाफ जारी किए गए आरोपपत्र के बारे में मुख्य सचिव से स्पष्टीकरण मांगा है।
प्रशांत को वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणियों के लिए निलंबित कर दिया गया था।
प्रशांत ने 16 दिसंबर 2024 को मुख्य सचिव को लिखे अपने पत्र में कहा, “इस अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रकृति विशेष रूप से जब यह अप्रमाणित, छेड़छाड़ कर और चुनिंदा स्क्रीनशॉट पर आधारित हो तो यह अपने आप में प्रक्रियात्मक औचित्य के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा करती है।”
उन्होंने पत्र में गंभीर सवाल उठाए कि किसी विशेष सोशल मीडिया मंच की तस्वीरों पर आधिकारिक संज्ञान कैसे लिया गया जबकि पहले इसे फाइल में शामिल करने और उसके बाद अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए कई प्रक्रियाएं अपनाई गई थीं। प्रशांत ने कहा कि यह ध्यान देने वाली बात है कि आरोप पत्र जारी करने या निलंबन से पहले उनसे कोई स्पष्टीकरण नहीं मांगा गया था। प्रशांत ने पत्र में कहा कि आरोप पत्र से अब यह स्पष्ट है कि उन दो आईएएस अधिकारियों द्वारा कोई औपचारिक शिकायत या प्रतिनिधित्व प्रस्तुत नहीं किया गया, जिनके खिलाफ उन्होंने आरोप लगाए थे।
उन्होंने पत्र में जिक्र किया कि जिस प्रक्रिया के माध्यम से कथित सोशल मीडिया स्क्रीनशॉट को आधिकारिक रिकॉर्ड में शामिल किया गया है, वह स्पष्ट नहीं है। प्रशांत ने यह भी जानना चाहा कि क्या ये सामग्री सक्षम चैनलों के माध्यम से खरीदी गई थी और क्या किसी अधिकृत प्राधिकारी द्वारा उनकी प्रामाणिकता का पता लगाया गया था।
इसके अलावा उन्होंने यह भी जानना चाहा कि यह पुष्टि करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं कि सामग्री, खास तौर पर स्क्रीनशॉट, छेड़छाड़ रहित और बिना किसी बदलाव के हैं। प्रशांत ने मुख्य सचिव को लिखे अपने पत्र में लिखा, “कृपया इन दस्तावेजों का विवरण प्रस्तुत करें और उनके संज्ञान, संग्रह, प्रसारण और ‘चार्ज मेमो’ में शामिल करने के लिए जिम्मेदार अधिकारी को निर्दिष्ट करें।”
उन्होंने मुख्य सचिव से अनुरोध किया है कि वे परिस्थितियों और उनके द्वारा उठाए गए प्रक्रियात्मक संदेहों के मद्देनजर विशिष्ट विवरण प्रदान करें।
पिछले महीने केरल की वामपंथी सरकार ने अनुशासन के उल्लंघन के लिए दो आईएएस अधिकारियों के गोपालकृष्णन और एन प्रशांत को निलंबित कर दिया था। केरल सरकार द्वारा गोपालकृष्णन और प्रशांत के खिलाफ जारी निलंबन आदेश में सेवा नियमों के उल्लंघन व गंभीर अनुशासनहीनता का हवाला देते हुए आरोप लगाया गया कि गोपालकृष्णन के कृत्य ने अखिल भारतीय सेवा संवर्ग के भीतर फूट डाली, जबकि प्रशांत के आचरण ने राज्य के प्रशासनिक तंत्र की सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंचाया।
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