कोच्चि (केरल), 10 दिसंबर केरल उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार और त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड (टीडीबी) की प्रशंसा या बधाई संदेश वाले फ्लेक्स बोर्ड को मंदिरों में लगाने की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि श्रद्धालु वहां भगवान के दर्शन करने के लिए जाते हैं न कि मुख्यमंत्री, विधायक या बोर्ड सदस्यों के चेहरे देखने के लिए जाते हैं।
न्यायमूर्ति अनिल के. नरेंद्रन और न्यायमूर्ति मुरली कृष्णा एस. की पीठ ने यह फैसला राज्य के अलप्पुझा जिले में चेरथला के निकट थुरवूर महाक्षेत्रम (मंदिर) में लगाए गए एक फ्लेक्स बोर्ड के खिलाफ शिकायत के आधार पर उच्च न्यायालय द्वारा स्वयं शुरू की गई सुनवाई के दौरान दिया।
पीठ ने कहा कि मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, राज्य देवस्वओम मंत्री वी. एन. वासवन, टीडीबी अध्यक्ष और निर्वाचन क्षेत्र के विधायक की तस्वीरों वाले फ्लेक्स बोर्ड में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) और बोर्ड को वर्तमान में जारी मंडलकला-मकरविलक्कु तीर्थयात्रा के दौरान सबरीमला तीर्थयात्रियों के वास्ते ‘अन्नदानम’ की अनुमति देने के लिए बधाई दी गई है।
इस घटना पर नाराजगी जताते हुए पीठ ने कहा, ‘‘इस तरह की गतिविधियों की अनुमति नहीं दी जा सकती। इस गलतफहमी में न रहें कि आप (टीडीबी) मंदिरों के मालिक हैं। बोर्ड एक न्यासी है जो अपने अधीन मंदिरों का प्रबंधन करता है।’’
अदालत ने कहा कि श्रद्धालु मंदिरों में भगवान के दर्शन करने जाते हैं, न कि मुख्यमंत्री, विधायक या टीडीबी सदस्यों के चेहरे देखने के लिए जाते हैं।
पीठ ने कहा कि थुरवूर मंदिर तीर्थयात्रा के दौरान सबरीमाला तीर्थयात्रियों के लिए ‘एदाथवलम’ (ठहराव बिंदु) है और वहां श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं प्रदान करना टीडीबी का कर्तव्य है।
अदालत ने यह भी कहा कि इस तरह के फ्लेक्स बोर्ड लगाना ‘‘मंदिर सलाहकार समिति का काम नहीं है’’ और श्रद्धालुओं से प्राप्त धन का उपयोग इस उद्देश्य के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
पीठ ने इस मुद्दे पर बोर्ड और अन्य संबंधित प्राधिकारियों का रुख जानना चाहा।
अदालत ने टीडीबी से कहा कि वह अदालत को सूचित करे कि क्या इस तरह के फ्लेक्स बोर्ड ‘एदाथवलम’ सहित बोर्ड प्रबंधन के अंतर्गत आने वाले अन्य मंदिरों में भी लगाए गए हैं।
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