देश की खबरें | केरल: लंबे समय तक जीवित रहने वाली ‘जायंट ट्रेवली’ मछलियों की संख्या बढ़ाने पर जोर

तिरुवनंतपुरम, छह अक्टूबर केरल में अचानक आई बाढ़ से पानी की लवणता कम हुई है जिससे राज्य में खारे पानी की मछलियों को पालने वालों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।

केरल जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति तेजी से संवेदनशील होता जा रहा है।

प्रदेश में इस समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार के एक संस्थान ने ‘जायंट ट्रेवली’ मछली का जीरा तैयार करने में सफलता प्राप्त की है जो क्षेत्र में मुश्किल का सामना कर रहे मछली पालकों के लिए उम्मीद की नयी किरण साबित हो सकती है।

‘जायंट ट्रेवली’ कम ल‍वणता वाले पानी में भी ज्यादा समय तक जिंदा रह सकती है।

विझिंजम स्थित केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई) का प्रजनन केंद्र ‘जायंट ट्रेवली’ मछली का जीरा कृत्रिम रूप से तैयार करेगा और इन्हें केरल व पड़ोसी राज्यों के मत्स्यपालकों को बेचेगा।

संस्थान मुख्य रूप से सिल्वर पोम्पानो के साथ-साथ अन्य मछली किस्मों के प्रजनन पर ध्यान केंद्रित करता है।

‘जायंट ट्रेवली’ एक शिकारी प्रकृति वाली मछली है, जो पूरी तरह से विकसित होने पर छह फुट लंबी और वजन में 80 किलोग्राम तक हो सकती है। इस एक हड्डी वाली मछली में हड्डियों को जोड़ने वाली मांसपेशियां नहीं होती और यह दुनिया भर की सबसे महंगी मछलियों में से एक है, जिसकी कीमत 500 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक हो सकती है।

विझिंजम स्थित सीएमएफआरआई के वैज्ञानिकों ने ‘पीटीआई-’ को बताया कि केरल में खारे पानी के मछली पालक उनसे संपर्क कर रहे हैं क्योंकि हाल के वर्षों में राज्य में अचानक बाढ़ आने और मूसलाधार बारिश के कारण अक्सर मछलियां मर जाती हैं।

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