बेंगलुरु, छह जनवरी कर्नाटक में ‘ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस’ (एचएमपीवी) के दो मामले सामने आने के बाद राज्य के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने सोमवार को कहा कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि संक्रमण के जो मामले सामने आए हैं, वे देश में पहले से मौजूद वायरस के स्वरूप के हैं जो जानलेवा नहीं हैं।
मंत्री ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि दोनों संक्रमित बच्चे ‘‘सामान्य’’ हैं तथा उन्होंने लोगों को सामान्य एहतियाती कदम उठाने की सलाह दी।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कर्नाटक में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के दो मामलों का पता लगाया है। मंत्रालय ने बताया कि इनमें से किसी भी मरीज ने हाल में विदेश यात्रा नहीं की।
राव ने कहा, ‘‘एचएमपीवी से संक्रमित दो बच्चों को बेंगलुरू के ‘बैपटिस्ट’ अस्पताल में भर्ती कराया गया। एक बच्ची तीन महीने की है और उसे दिसंबर में ही छुट्टी दे दी गई थी और दूसरा बच्चा आठ महीने का है, जिसे संभवत: कल तक छुट्टी मिल जाएगी। वे दोनों सामान्य हैं।’’
उन्होंने बैठक के बाद पत्रकारों से कहा, ‘‘इसके (मामलों के) बारे में डरना, यह आशंका होना कि मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया जाएगा और लॉकडाउन लागू कर दिया जाएगा - ऐसा कुछ भी नहीं है। अभी तक ऐसी कोई बात नहीं है। केंद्र सरकार और आईसीएमआर से हम संपर्क में हैं। आगे जो भी सावधानियां बरतने की जरूरत है, उसके बारे में सूक्ष्म जीव वैज्ञानिकों और अन्य विशेषज्ञों की एक बैठक होगी।’’
मंत्री ने मीडिया से अनावश्यक भय पैदा न करने का अनुरोध करते हुए कहा, ‘‘कुछ सामान्य बातें बताई गई हैं कि क्या करें और क्या न करें, जैसे कि लक्षण दिखने पर सावधानी बरतें, अपने हाथों को बार-बार धोते रहें, भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।’’
राव ने कहा, ‘‘जो एचएमपीवी पाया गया है वह पहले से देश में मौजूद वायरस है। वायरस का यह स्वरूप जीवन के लिए खतरा नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि चीन में वायरस के जिस स्वरूप का संक्रमण फैला है, उस पर नजर रखी जा रही है।
मंत्री ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि बेंगलुरु के निजी अस्पताल में सामने आए मामले देश में दर्ज किए गए एचएमपीवी के पहले मामले हैं, जो गलत हैं। उन्होंने कहा कि एचएमपीवी देश में पहले से ही मौजूद है। उन्होंने कहा कि इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) के मामले और श्वसन संक्रमण कई तरह के वायरस के कारण होते हैं। इनमें से एचएमपीवी एक है।
उन्होंने कहा कि ये वायरस जानलेवा नहीं हैं और देश एवं दुनिया भर में मौजूद हैं और इनका पहली बार 2001 में नीदरलैंड में पता चला था, हालांकि ये पहले से भी मौजूद हो सकते हैं।
केंद्र सरकार और आईसीएमआर निगरानी डेटा के अनुसार, आईएलआई के एक प्रतिशत मामले एचएमपीवी संक्रमण के हो सकते हैं और केवल इसके कारण होने वाली मौत के ऐसे मामले बहुत कम हैं जिनमें संक्रमित व्यक्ति पहले से किसी अन्य बीमारी से पीड़ित नहीं हो।
राव ने एक सवाल के जवाब में कहा कि दोनों शिशुओं की आईएलआई, सर्दी, खांसी जैसे संक्रमणों के लिए जांच की गई और इसी दौरान एचएमपीवी का पता चला।
उन्होंने कहा, ‘‘कोई विशेष जांच नहीं होगी। मामले के आधार पर चिकित्सक जो भी तय करेंगे, वह सामान्य जांच की जाएगी। अगर एचएमपीवी के लिए कोई विशेष जांच करने की आवश्यकता है, तो केंद्र सरकार के निर्णय और सलाह के आधार पर ऐसा किया जाएगा। फिलहाल नियमित प्रक्रियाओं का पालन किया जाएगा।’’
मंत्री ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि हवाई अड्डों पर जांच करने की अभी आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इन जिन बच्चों में मामले सामने आए हैं, उन्होंने हाल में कोई यात्रा नहीं की थी और ये स्थानीय स्तर पर संक्रमण के मामले हैं।
उन्होंने कहा कि फिलहाल कोविड जैसे प्रोटोकॉल का पालन करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि अभी तक कोई ‘‘अप्राकृतिक घटनाक्रम’’ नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसे किसी प्रोटोकॉल की आवश्यकता होगी तो ऐसी स्थिति आने पर केंद्र सरकार निर्णय लेगी।
राव ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार के अनुसार भी भारत में आईएलआई मामलों में कोई असामान्य वृद्धि नहीं हुई है। सामने आ रहे मामलों पर नजर रखी जा रही है। देश में सभी तरह की सुविधाएं मौजूद हैं और हम स्थिति का सामना करने के लिए तैयार हैं, लेकिन अभी ऐसी कोई स्थिति नहीं है।’’
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