बेंगलुरु, 13 जनवरी कर्नाटक विधान परिषद के सभापति बसवराज एस होराट्टी ने पिछले साल 19 दिसंबर को बेलगावी में सुवर्ण विधान सौध में परिषद के अंदर भारतीय जनता पार्टी के विधान परिषद सदस्य सी.टी. रवि द्वारा मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर के खिलाफ कथित तौर पर अभद्र शब्दों का इस्तेमाल करने संबंधी प्रकरण की अपराध जांच विभाग (सीआईडी) से जांच कराए जाने पर आपत्ति जताई है।
राज्य के गृह मंत्री जी. परमेश्वर को 10 जनवरी को लिखे पत्र में होराट्टी ने रेखांकित किया कि उन्होंने इस प्रकरण पर अपना निर्णय पहले ही दे दिया है जो अंतिम है।
पत्र रविवार को मीडिया के साथ साझा किया गया।
परिषद के सभापति ने कहा, ‘‘बेलगावी में 19 दिसंबर 2024 को सुवर्ण विधान सौध की विधान परिषद में हुई घटना के संबंध में भारत के संविधान, कर्नाटक विधान परिषद की प्रक्रिया के नियम, लोकसभा और राज्यसभा की प्रक्रिया और नियम, कौल और शेकटर की प्रक्रिया और संसदीय आचरण तथा सुभाष कश्यप के बालिमंतोरी प्रक्रियाओं की समीक्षा करने के बाद आसन ने अपनी व्यवस्था पहले ही दे दी है।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘एक संवैधानिक पद होने के नाते सभापति संसदीय प्रणाली और प्रक्रिया पर संप्रभु शक्ति रखता है और सत्र के दौरान अनैतिक आचरण या अन्य दुर्व्यवहार के लिए सदन के पास अपने सदस्यों को दंडित करने की शक्ति है।’’
होरट्टी ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप, सभापति के पास अब तक जारी परंपराओं को बनाए रखने और सदन में कार्यवाही को नियंत्रित करने का अधिकार है और उनका निर्णय अंतिम है।
उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि कार्यपालिका, संसदीय पद्धति और प्रक्रिया तथा भारत के संविधान में विधानमंडल और सभापति को दिए गए विशेष अधिकारों का उल्लंघन करते हुए मामले को सीआईडी को सौंपकर संवैधानिक टकराव बढ़ाने की कोशिश कर रही है।
सभापति ने कहा कि विधायिका और कार्यपालिका के बीच अनावश्यक गतिरोध की स्थिति नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘आपको यह जानना चाहिए कि विधान परिषद में जो घटना हुई, वह सभापति के अधिकार क्षेत्र में आती है और कार्यपालिका तथा विधायिका को संविधान के ढांचे के भीतर परस्पर सम्मान के साथ अपने-अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।’’
यह देखते हुए कि परमेश्वर को संविधान के विभिन्न संस्थानों में काम करने का व्यापक अनुभव है, उन्होंने उन पर विश्वास जताया कि वह संविधान के तहत अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए परमेश्वर ने रविवार को यहां संवाददाताओं से कहा कि उन्हें पत्र नहीं मिला है, हालांकि उन्हें होराट्टी के पत्र के बारे में मीडिया से पता चला।
गृह मंत्री ने कहा, ‘‘मैं पहले देखूंगा कि पत्र में क्या है, उसके बाद मैं कानूनी विशेषज्ञों और विधि विभाग से सलाह लूंगा। हम कानून के दायरे में काम करेंगे।’’
उन्होंने कहा कि मामले को सीआईडी को सौंप दिया गया है ताकि घटना की सच्चाई का पता लगाया जा सके और भ्रम की स्थिति को दूर किया जा सके।
पुलिस ने 19 दिसंबर 2024 को हेब्बालकर के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने के आरोप में रवि के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की और उसी शाम उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।
उन्हें उच्च न्यायालय के आदेश पर रिहा कर दिया गया जिसमें कहा गया था कि कानून की उचित प्रक्रिया का पालन न करने के कारण उनकी गिरफ्तारी प्रथम दृष्टया अवैध थी।
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