बेंगलुरु, नौ जनवरी कर्नाटक उच्च न्यायालय ने ट्विटर से सूचनाएं हटाने के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के आदेश के खिलाफ माइक्राब्लॉगिंग साइट की याचिका पर सुनवाई में बार-बार स्थगन की मांग करने पर सोमवार को केंद्र सरकार से नाखुशी जताई।
खाताधारकों को नोटिस दिए बिना खातों, पोस्ट और यूआरएल को ब्लॉक करने को चुनौती देने वाली ट्विटर की याचिका न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित के समक्ष सुनवाई के लिए आई।
केंद्र सरकार के वकील ने सुनवाई 27 जनवरी या तीन फरवरी तक टालने का अनुरोध किया।
अदालत ने कहा कि इतने महत्वपूर्ण मामले पर बार-बार स्थगन की मांग की जा रही है।
उसने कहा, ‘‘हम सहमत नहीं हैं। लोग क्या सोचेंगे? हम आपकी बात मानने के लिए बाध्य नहीं हैं। आपने कितनी बार स्थगन आदेश प्राप्त किया है।’’
अदालत ने कहा कि वह केवल एक सप्ताह का समय देगी। उसने मामले की अगली सुनवाई के लिए याचिका 18 जनवरी को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया।
ट्विटर ने जून, 2022 में दायर उसकी याचिका को लेकर उच्च न्यायालय का रुख किया था। उसने दावा किया कि सरकार के लिए उन ट्विटर हैंडल्स संचालकों को नोटिस जारी करना आवश्यक था, जिनके खिलाफ ब्लॉक करने के आदेश जारी किये गये।
ट्विटर ने दावा किया कि उसे खाताधारकों को सूचनाएं हटाने के बारे में जानकारी देने से भी रोका गया।
वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार और अशोक हरनाहल्ली ने ट्विटर की ओर से दलील पेश कीं।
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