देश की खबरें | विशेष आम बैठक की अनुमति की मांग वाली जेओए की याचिका खारिज

नयी दिल्ली, 27 मई उच्चतम न्यायालय ने विशेष आम बैठक आयोजित करने की अनुमति की मांग वाली झारखंड ओलंपिक संघ (जेओए) की याचिका को शुक्रवार को खारिज करते हुए इस मुद्दे पर दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले का इंतजार करने को कहा ।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की अवकाशकालीन पीठ ने कहा, ‘‘हम संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत विशेष अनुमति याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। ऐसे में विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है।’’

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने दलील दी कि दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने उन्हें मौका दिया था और कहा था कि खेल के व्यापक हित में उन्हें (जेओए) चीजों को ठीक करने की आवश्यकता है।

मेहरा कहा, ‘‘ उच्च न्यायालय ने कहा कि वह इन मामलों को सुलझाने का एक अंतिम मौका दे रहा है, अन्यथा हम अपने हाथ में मामला ले लेंगे और कोई न कोई रास्ता निकालेंगे। इसके बाद उन्हें मौका दिया गया था। कानून वयवस्था की स्थिति पैदा होने की आशंका को देखते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ को उस विशेष बैठक के लिए प्रशासक नियुक्त किया था, लेकिन वहां कोई समाधान नहीं निकला।’’

इसके बाद पीठ ने झारखंड ओलंपिक संघ की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत से कहा कि वह इस याचिका पर विचार नहीं करेगी।

बसंत ने यह कहते हुए पीठ को मनाने की कोशिश की कि यह आवेदन उच्च न्यायालय द्वारा फैसला सुरक्षित रखने से बहुत पहले किया गया था और इसमें सिर्फ यही निवेदन है कि कि एक विशेष आम बैठक आयोजित करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि कुछ अहम फैसले लेने की जरूरत है। संघ की बैठक के बिना यह संभव नहीं है। जनहित याचिका में उठाए गए मुद्दे का इन मामलों से कोई लेना-देना नहीं है।

इस पर पीठ ने कहा, ‘‘ हम नहीं चाहते कि यह पूरी प्रक्रिया अव्यवस्थित हो। उच्च न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। छुट्टी के बाद जज फैसला सुनाएंगे। हम नहीं चाहते कि झारखंड ओलंपिक संघ हस्तक्षेप करे। उच्च न्यायालय को इस मुद्दे को हल करने दें।’’

उच्च न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता और खेल कार्यकर्ता मेहरा द्वारा 2010 में दायर याचिका पर अपना फैसला 12 अप्रैल को सुरक्षित रख लिया था। इस याचिका में राष्ट्रीय खेल संहिता (एनएससी) के अनुरूप भारतीय ओलंपिक संघ द्वारा संविधान को अपनाने और कार्यकारी समिति के चुनाव कराने की मांग की गई थी।

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