नयी दिल्ली, 24 मार्च विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बृहस्पतिवार को 'ऑपरेशन गंगा' की सराहना की, जिसने युद्ध प्रभावित यूक्रेन से भारतीयों को निकालने में मदद की। जयशंकर ने कहा कि पूरी विदेश नीति तंत्र संलग्न हो गया था और इसमें नागरिकों के वास्ते सुरक्षित मार्ग के लिए संघर्षविराम सुनिश्चित करने के लिए रूस और यूक्रेन में उच्चतम स्तर पर हस्तक्षेप शामिल है।
जयशंकर ने सेंट स्टीफंस कॉलेज एमआरएफ विशिष्ट पूर्व छात्र वार्षिक व्याख्यान में यूक्रेन से भारतीय नागरिकों की सुरक्षित निकासी सुनिश्चित करने के लिए राजनयिक स्तर पर क्या हुआ, इस बारे में बात की।
उन्होंने कहा, ‘‘एक पल के लिए उस भारतीय छात्र के रूप में सोचें जो इस साल 24 फरवरी को यूक्रेन में था - अपनी प्रशासनिक संभावनाओं के बारे में चिंतित, आपने खुद को एक गंभीर संघर्ष के बीच में फंसा पाया और वह सिर्फ आप नहीं, आपके साथ 20,000 और साथी नागरिक थे। साथ ही यूक्रेन के लाखों नागरिक जो देश से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं।’’
निकासी अभियान में आने वाली चुनौतियों पर विस्तार से बात करते हुए जयशंकर ने कहा कि आंतरिक यात्रा अपने आप में खतरनाक और जटिल है, सीमाएं भीड़भाड़ के चलते और भी अधिक खतरनाक थीं। उन्होंने कहा कि वहीं अत्यधिक प्रभावित शहरों में, गोलाबारी और हवाई हमलों के कारण खतरा था।
जयशंकर ने कहा, ‘‘ ऐसे में जब आप वास्तव में समर्थन के लिए अपनी सरकार की ओर देखते हैं। यह तब होता है जब विदेश नीति का पूरा तंत्र हरकत में आता है, जैसा कि ऑपरेशन गंगा में हुआ था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘परिवहन की सुविधा प्रदान करके ऐसा करना था, इसमें ट्रेन और बसें शामिल हैं। यह सुरक्षित मार्ग के लिए गोलीबारी को रोकने के लिए रूस और यूक्रेन में उच्चतम स्तर पर हस्तक्षेप करने का काम था , सीमा अधिकारियों को सीमा पार सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी थी ।’’ उन्होंने कहा कि और सूमी जैसे चरम मामलों में, यह संघर्ष क्षेत्रों को भी पार करता है।
निकासी में हंगरी, रोमानिया, स्लोवाकिया, पोलैंड और मोल्दोवा की पड़ोसी सरकारों के साथ काम करना शामिल है ताकि पारगमन शिविर स्थापित किए जा सकें और सुरक्षित वापसी के लिए उड़ानें संचालित की जा सकें।
मंत्री ने कहा, ‘‘इन प्रयासों, हस्तक्षेपों और विभिन्न स्तरों पर संबंधों पर एक पल के लिए चिंतन करें, जो ऊपर से शुरू हो रहे हैं। और सोचें कि यह सब करने के लिए क्या आवश्यक है।’’
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