वाशिंगटन, 27 मई विदेश मंत्री एस जयशंकर बुधवार को वाशिंगटन डीसी पहुंचे, जहां वह अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे।
इस दौरान, बाइडन प्रशासन के पहले 100 दिनों के दौरान द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति की समीक्षा और बाइडन के शेष कार्यकाल के लिए आधार तैयार करने के संबंध में बातचीत की उम्मीद है।
वाशिंगटन डीसी की अपनी तीन दिवसीय यात्रा के दौरान जयशंकर (66) अपने अमेरिकी समकक्ष टोनी ब्लिंकन, रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलीवन और बाइडन प्रशासन के अन्य महत्वपूर्ण सदस्यों से मुलाकात करेंगे।
जो बाइडन के अमेरिकी राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने के बाद किसी भारतीय शीर्ष नेता की अमेरिका की यह पहली यात्रा है।
पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘वाशिंगटन में भारत की पहली कैबिनेट स्तरीय यात्रा के हिस्से के रूप में, शुक्रवार को रक्षा मंत्री भारत के विदेश मंत्री जयशंकर से मुलाकात करेंगे।’’
किर्बी ने मार्च में ऑस्टिन की भारत यात्रा का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘ मुलाकात के दौरान दोनों नयी दिल्ली में मार्च में हुई अपनी वार्ता को आगे बढ़ाएंगे और दोनों देशों के बीच मजबूत द्विपक्षीय रक्षा एवं सुरक्षा संबंध जारी रखने पर जोर देंगे। हम उनके पेंटागन आने और उनके साथ वार्ता करने को लेकर उत्साहित हैं।’’
विदेश मंत्रालय ने ब्लिंकन और जयशंकर के बीच फॉगी बॉटम स्थित मुख्यालय में होने वाली मुलाकात के समय के बारे में अभी जानकारी नहीं दी है। ब्लिंकन शांति प्रक्रिया आगे बढ़ाने के लिए अभी पश्चिम एशिया की यात्रा पर हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया था कि दोनों नेता क्वाड के माध्यम से हिंद-प्रशांत सहयोग को मजबूत बनाने, संयुक्त राष्ट्र के साथ सहयोग और बहुपक्षीय सहयोग बढ़ाने सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कोरोना वायरस के टीके और कच्चे माल की खरीद के यहां जयशंकर की वार्ता का प्रमुख मुद्दा रहने की उम्मीद है।
जयशंकर भारत में टीक के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका से कच्चे माल की आपूर्ति में और तेजी लाने की बात पर जोर दे सकते हैं, जो वर्तमान में कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर से जूझ रहा है।
वाशिंगटन आने से पहले जयशंकर ने कहा कि भारत-अमेरिका संबंध दुनिया के प्रमुख संबंधों में से एक हैं और नयी दिल्ली तथा वाशिंगटन के सामने चुनौती यह है कि अपनी मौलिक, सामाजिक और भू-राजनीतिक स्थिति को कार्रवाई योग्य नीतियों में कैसे बदला जाए।
जयशंकर ने भारत-अमेरिका संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए उनके पास "बड़ा एजेंडा" होने की बात पर जोर देते हुए कहा, "मुझे लगता है कि हमारे रिश्ते एक लंबा सफर तय कर चुके हैं। यह आज दुनिया के प्रमुख संबंधों में से एक है और मेरी अपनी समझ है कि आज वाशिंगटन में, इस संबंध की क्षमता का वास्तविक मूल्यांकन हुआ है, यह क्या कर सकता है। और यही सच्चाई नयी दिल्ली के साथ भी है।"
हूवर इंस्टीट्यूशन द्वारा प्रस्तुत 'भारत: एक रणनीतिक साझेदारी के लिए अवसर और चुनौतियां' नामक विषय पर आयोजित 'बैटलग्राउंड' सत्र में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जनरल एचआर मैकमास्टर के साथ ऑनलाइन बातचीत के दौरान, जयशंकर ने कहा, ‘‘ कोविड-19 महामारी के प्रभाव, विभिन्न शक्तियों के उदय जैसे मुद्दों को ध्यान में रखते हुए आज हम सभी मानते हैं कि यह एक या दो या तीन देशों का सवाल नहीं है जो यह तय करेंगे कि दुनिया किस स्थिति में है।"
भारत-अमेरिका संबंधों पर एक सवाल का जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा, "दुनिया वास्तव में कुछ ज्यादा ही बहुध्रुवीय है और अगर यह बहुध्रुवीय है, तो देशों के लिए यह सीखना और भी महत्वपूर्ण है कि एक-दूसरे के साथ अधिक प्रभावी ढंग से कैसे काम किया जाए। और मैं इस संबंध में अमेरिकी मानसिकता में एक बड़ा बदलाव देखता हूं।"
जयशंकर वाशिंगटन डीसी में यहां उद्योग जगत के लोगों से भी बातचीत करेंगे, जिसमें ‘यूएस इंडिया बिजनेस काउंसिल’ और ‘यूएस इंडिया स्ट्रेटेजिक एंड पार्टनरशिप फोरम’ द्वारा बृहस्पतिवार को आयोजत सत्र भी शामिल है।
अमेरिका में भारत के राजदूत के तौर पर दिसम्बर 2013 से जनवरी 2015 तक अपनी सेवाएं दे चुके जयशंकर कई प्रमुख अमेरिकी सांसदों से भी मुलाकात करेंगे।
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