देश की खबरें | निचली अदालत का कर्तव्य यह सुनिश्चित करना है कि सुनवाई लंबी न खिंचे : न्यायालय

नयी दिल्ली, 19 अगस्त उच्चतम न्यायालय ने गवाहों से जिरह में देरी पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यह सुनिश्चित करना निचली अदालत का कर्तव्य है कि सुनवाई लंबी न हो, क्योंकि लंबा अंतराल होने पर गवाही में समस्या पैदा होती है।

न्यायमूर्ति एस. के. कौल और न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश की पीठ ने कहा कि निचली अदालत को सुनवाई में देरी की किसी भी रणनीति को नियंत्रित करना चाहिए।

न्यायालय ने आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में एक मेयर के हत्यारों को भागने में मदद करने के एक आरोपी को जमानत देते समय यह टिप्पणी की। पीठ ने कहा कि वह व्यक्ति पिछले सात साल से जेल में है और अभियोजन पक्ष के गवाहों से अभी तक पूछताछ नहीं हुई है।

पीठ ने कहा, ‘‘हम इस तथ्य से परेशान हैं कि घटना के सात साल बाद भी अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयान रिकॉर्ड पर नहीं लिये गये हैं और सुनवाई अभी तक शुरू नहीं हो सकी है। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है। समय का (लंबा) अंतराल गवाही में खुद ही समस्याएं पैदा करता है...।’’

पीठ ने कहा, ‘‘यह सुनिश्चित करना अभियोजन का कर्तव्य है कि अभियोजन पक्ष के गवाह मौजूद हों और यह सुनिश्चित करना निचली अदालत का कर्तव्य है कि किसी भी पक्ष को मुकदमे को आगे खींचने की अनुमति न दी जाए।’’

उच्चतम न्यायालय ने निचली अदालत को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि इस आदेश के जारी होने की तारीख से एक साल की अवधि के भीतर मौजूदा मामले का फैसला उपलब्ध हो।

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