देश की खबरें | अपने पूर्व निदेशकों के विरूद्ध ही सीबीआई का जांच करना नैसर्गिक न्याय का उल्लंघन है : अदालत
एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, 17 ननवंबर दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा भ्रष्टाचार के मामले में अपने ही पूर्व निदेशकों की जांच करना ‘नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन’ है। इसी के साथ अदालत ने जांच की धीमी गति को लेकर जांच एजेंसी की खिंचाई भी की।

सीबीआई को तब अदालत की फटकार लगी जब उसके सरकारी वकील ने जांच के लिए और वक्त मांगा।

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विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने विवादास्पद मांस कारोबारी मोईन कुरैशी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में यह टिप्पणी की। इस मामले में सीबीआई के पूर्व निदेशक द्वय -- रणजीत सिन्हा और ए पी सिंह भी जांच के दायरे में हैं।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ चार साल गुजर गये। इन चार सालों में कोई जांच नहीं की गयी। आप और कितने साल लेंगे? सात या दस साल?’’

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अदालत ने कहा, ‘‘ सीबीआई निदेशक आरोपी हैं और एजेंसी इस मामले की खुद ही जांच कर रही है? मैं चकित हूं। यह नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है।’’

जांच एजेंसी ने अदालत से कहा कि हाल के उसके चार आदेशों को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी है।

इसके बाद निचली अदालत ने इस मामले को 24 नवंबर को अगली सुनवाई के लिए स्थगित कर दी।

सीबीआई ने 2017 में कुरैशी के खिलाफ कथित रिश्वतखोरी का यह मामला दर्ज किया था। जांच के दौरान सिन्हा और सिंह के नाम भी सामने आये, ऐसे में उनकी भूमिका की जांच की जा रही है।

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