लंदन, 18 नवंबर: विश्व के 15 देशों के छात्रों पर किये गए ‘ग्लोबल स्टूडेंट सर्वे 2023’ में, स्नातक की पढ़ाई कर रहे ज्यादातर भारतीयों ने कहा कि वे अपने पाठ्यक्रम में करियर के लिहाज से प्रासंगिक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) टूल्स’ को शामिल किया जाना चाहते हैं. ‘एआई टूल’ एक सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन है जो विशिष्ट कार्यों को करने और समस्याओं का हल करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता गणना का उपयोग करता है.
चेग डॉट ओआरजी के वार्षिक विश्लेषण में 83 प्रतिशत भारतीय छात्रों पर सर्वेक्षण किया गया, जिसका नतीजा इस हफ्ते यहां जारी किया गया. इन छात्रों ने पाठ्यक्रम में कृत्रिम बुद्धिमत्ता को शामिल करने की मांग की है. इस मामले में संख्या के लिहाज से वे केन्या (84 प्रतिशत) के बाद दूसरे स्थान पर हैं। वहीं, तीसरे स्थान पर सउदी अरब (48 प्रतिशत) है. इसके अलावा, इन भारतीय छात्रों में 46 प्रतिशत को ऐसा लगता है कि उनकी उपाधि(डिग्री) कृत्रिम बुद्धिमत्ता सहायता प्राप्त कार्यस्थल पर अधिक उपयोगी होगी.
साथ ही, स्नातक की पढ़ाई कर रहे 44 प्रतिशत भारतीय छात्रों ने कहा कि उन्होंने विश्वविद्यालय में अपनी पढ़ाई के लिए ‘जेनेरेटिव कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ (जेनएआई) या ‘जेनेरेटिव मॉडल’ का उपयोग करते हुए शब्द, तस्वीर, या संप्रेषण के अन्य माध्यम उत्पन्न करने वाली कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग किया. इस मामले में भारतीय छात्रों की संख्या वैश्विक औसत 40 प्रतिशत से अधिक है.
भारतीय छात्र ‘जेनएआई’ को सीखने में एक मददगार ‘टूल’ मान रहे हैं. लेकिन वे इसके और बेहतर होने की गुंजाइश देख रहे हैं. 49 प्रतिशत छात्रों ने जवाब तैयार करने में मानव विशेषज्ञता को शामिल करने का आग्रह किया और इसका इस्तेमाल करने की कोशिश करने वाले 28 प्रतिशत छात्रों ने गलत सूचना पाने पर चिंता जताई है. चेग डॉट ओआरजी के प्रमुख एवं एडटेक फर्म चेग के मुख्य संचार अधिकारी हीदर हाटलो पोर्टर ने कहा, ‘‘छात्र जेनएआई को अपनाना शुरू कर रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट है कि वे इसके बेहतर होने की गुंजाइश देख रहे हैं.’’
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)