वाशिंगटन, एक अक्टूबर अमेरिका के ह्यूस्टन में अवैध रूप से रह रहे 27 वर्षीय एक भारतीय नागरिक ने एक राष्ट्रव्यापी तकनीकी सहायता धनवापसी घोटाले में संलिप्तता के आरोपों को स्वीकार कर लिया है। अमेरिकी अटॉर्नी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
सुमित कुमार सिंह ने 2018 से 2020 के बीच ह्यूस्टन सहित विभिन्न शहरों से संचालित धोखाधड़ी गिरोह में शामिल होने के आरोप स्वीकार किए। इसके लिए उसे 20 साल तक की कैद हो सकती है और 250,000 डॉलर तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
सिंह को सुनाई जाने वाली सजा की घोषणा 20 दिसंबर को की जाएगी, तब तक वह हिरासत में रहेगा।
अदालत के दस्तावेजों के अनुसार, घोटाले में विभिन्न तरीकों का उपयोग करके पीड़ितों को धोखा दिया गया और उन्हें ‘वेस्टर्न यूनियन’ या ‘मनीग्राम’ जैसे पैसे हस्तांतरण करने के मंचों के माध्यम से धन भेजने का निर्देश भी दिया गया था। ऐसी ही एक योजना में तकनीकी मदद के लिए पीड़ितों को सहायता का आश्वासन देकर उनके कम्प्यूटर तक पहुंच हासिल की गई।
अभियोजकों ने बताया कि फिर उन्होंने पीड़ितों से कहा कि उन्होंने गलती से उन्हें पैसे वापस कर दिए हैं या अधिक भुगतान कर दिया है। इसके बाद पीड़ितों को ‘फेडएक्स’ या ‘यूपीएस’ के माध्यम से नकद में अधिक भुगतान करने को कहा गया।
अदालती दस्तावेजों के अनुसार, पीड़ितों ने आमतौर पर कथित तकनीकी सहायता के लिए साजिशकर्ताओं को एक शुल्क का भुगतान किया, लेकिन बाद में उन्हें बताया कि उन्हें कुछ पैसे लौटाने है। इस ‘रिफंड’ प्रक्रिया में ही आरोपियों ने पीड़ितों के बैंक खातों और क्रेडिट कार्ड तक पहुंच हासिल की और ऐसा दिखाया कि टाइपिंग में त्रुटि के कारण पीड़ित ने अधिक भुगतान कर दिया है, जिसके बाद पीड़ितों को अन्य माध्यमों से पैसे वापस देने का आश्वासन भी दिया गया।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)