देश की खबरें | भारत और अमेरिका की सेनाओं ने ‘टाइगर ट्रंफ’ अभ्यास किया

नयी दिल्ली, 20 अक्टूबर भारत और अमेरिका की सेनाओं ने दोनों देशों के बीच बढ़ते रणनीतिक सहयोग के तहत विशाखापत्तनम में तीन दिवसीय संयुक्त मानवीय सहायता अभ्यास ‘टाइगर ट्रंफ’ किया।

यह अभ्यास बृहस्पतिवार को संपन्न हुआ।

अमेरिकी सेना की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, “इस सप्ताह का टाइगर ट्रंफ अभ्यास क्षेत्र में आपदा राहत के समन्वय के लिए भारतीय और अमेरिकी सेनाओं के बीच किया गया दूसरा अभ्यास था।”

पहला टाइगर ट्रंफ अभ्यास भी विशाखापत्तनम में हुआ था। यह नवंबर 2019 में नौ दिनों तक चला था, जिसमें अमेरिका के 500 से अधिक नौसैनिक और नाविक शामिल हुए थे। वहीं, भारत की तरफ से लगभग 1,200 नौसैनिकों, वायुसेना कर्मियों और सैन्य जवानों ने इसमें हिस्सा लिया था।

बयान में कहा गया है, “इस साल के अभ्यास में 50 संयुक्त प्रतिभागी शामिल हुए और यह अभ्यास स्टाफ नियोजन पर केंद्रित है, जिसमें कूटनीतिक, परिचालन और सैन्य समन्वय को सुव्यवस्थित करने से जुड़ी प्रक्रियाओं पर जोर दिया गया है।”

अमेरिका हिंद-प्रशांत कमान में सामरिक योजना और नीति मामलों के निदेशक मेजर जनरल मैकफिलिप्स ने कहा, “भारत पूरे दक्षिण एशिया और हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ावा देने में एक अनिवार्य भागीदार और अग्रणी देश है। मैं इस क्षेत्र में मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए एक बहुराष्ट्रीय कमान और नियंत्रण मॉडल को विकसित करने तथा उसे मान्यता दिलाने के लिए समन्वय बढ़ाने व द्विपक्षीय समझौतों का प्रयोग करने की दिशा में टीम के काम से प्रोत्साहित हूं।”

टाइगर ट्रंफ साल 2022 का वह तीसरा अभ्यास है, जिसके लिए भारत और अमेरिका की सेनाएं विशाखापत्तनम में साथ आई हैं।

फरवरी में भारत के द्विवार्षिक अभ्यास ‘मिलन’ के लिए अमेरिकी सेना 30 से अधिक अन्य देशों की फौजों के साथ विशाखापत्तनम में एकजुट हुई थी।

वहीं, अगस्त में यूएसएस फ्रैंक केबल विशाखापत्तनम पहुंचा था, जिस दौरान अमेरिकी नाविकों ने अपने भारतीय समकक्षों के साथ कुछ बैठकें की थीं।

हैदराबाद में अमेरिकी महावाणिज्य दूत जेनिफर लार्सन ने कहा, “टाइगर ट्रंफ इस बात का एक आदर्श उदाहरण है कि कैसे भारत और अमेरिका हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए साथ मिलकर काम कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “जलवायु परिवर्तन से दुनियाभर में चरम मौसमी घटनाओं की आवृत्ति बढ़ने की चेतावनी के बीच अमेरिका एक क्षेत्रीय ताकत के रूप में भारत की अनूठी भूमिका को पहचानता है, जिसमें अन्य देशों की जरूरत में सहायता करने की क्षमता है। हम आपसी सहयोग को जारी रखने और इस क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर काम करने की अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए तत्पर हैं।”

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