नयी दिल्ली, 14 जुलाई रूस के एक वरिष्ठ राजनयिक ने बुधवार को कहा कि भारत का अफगानिस्तान में बड़ा हित है और यह नयी दिल्ली को तय करना है कि उसे संघर्षरत देश में किस हद तक अपनी भागीदारी बढ़ानी है।
रूस के वरिष्ठ राजनयिक ने यह टिप्पणी तालिबान लड़ाकों के तेजी से अफगानिस्तान के बड़े हिस्से पर कब्जा करने को लेकर बढ़ती सुरक्षा चिंताओं के बीच की है। तालिबान के बढ़ते कब्जे के कारण कई देशों को वहां अपनी मौजूदगी में कमी लाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
रूसी मिशन के उप प्रमुख रोम बबुश्किन ने यहां संवाददाता सम्मेलन में यह भी कहा कि तालिबान अफगानिस्तान में ‘‘मौजूदा वास्तविकता’’ है और सभी जातीय समूहों के प्रतिनिधित्व के साथ एक समावेशी सरकार के गठन से संघर्षरत देश में शांति एवं स्थिरता का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।
उन्होंने कहा कि रूस और भारत दोनों अफगानिस्तान में संवाद प्रक्रिया का समर्थन करते हैं। वे उस देश में बदलती स्थिति पर करीबी नजर रख रहे हैं। राजयनिक ने कहा कि अफगानिस्तान एक महत्वपूर्ण दौर से गुजर रहा है और इसका कोई सैन्य समाधान नहीं है।
उन्होंने कई सवालों के जवाब में कहा, ‘‘तालिबान अफगानिस्तान में मौजूदा वास्तविकता है। वह अंतर-अफगान वार्ता में एक पक्ष है, जो हम मानते हैं कि स्थिति को सामान्य बनाने और एक ऐसी समावेशी सरकार की स्थापना का समाधान होना चाहिए जिसमें सभी प्रमुख जातीय समूह शामिल होने चाहिए।’’
रूसी राजनयिक ने कहा कि अफगानिस्तान में भारत का बड़ा हित है और यह नयी दिल्ली को तय करना है कि वह उस देश में किस हद तक अपनी भागीदारी बढ़ाना चाहता है। उन्होंने कहा कि भारत अफगानिस्तान पर सक्रिय क्षेत्रीय कूटनीति में शामिल रहा है और उन्होंने इसे ‘‘बहुत प्रेरणादायक’’ बताया।
भारत अफगानिस्तान की अगुवाई और उसके नियंत्रण में राष्ट्रीय शांति एवं सुलह प्रक्रिया का समर्थन करता रहा है।
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