बीजिंग, 23 जून भारत और चीन ने कोविड-19 संबंधी बीजिंग के प्रतिबंधों के कारण दो साल से घरों में अटके हजारों भारतीय छात्रों की वापसी तथा कोरोना वायरस महामारी से बाधित सीधी उड़ानें बहाल करने के विषय पर चर्चा की। भारतीय दूतावास ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
चीन में भारत के राजदूत प्रदीप कुमार रावत और चीन के विदेश मंत्री वांग यी की बुधवार को हुई बातचीत में भारतीय छात्रों की वापसी का जटिल मुद्दा भी आया।
वांग ने इस साल मार्च में नयी दिल्ली की अपनी यात्रा के दौरान भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ अपनी मुलाकात को याद किया। भारतीय दूतावास के प्रेस वक्तव्य में वांग के हवाले से कहा गया कि ‘‘चीनी पक्ष ने भारतीय छात्रों की वापसी के संबंध में भारतीय पक्ष की चिंताओं को महत्व दिया और इस पर जल्द प्रगति होने की उम्मीद जताई।’’
प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि वांग ने दोनों देशों के बीच सीधे उड़ान संपर्क को बहाल करने पर हुई बातचीत का भी जिक्र किया। उसने कहा, ‘‘राजदूत रावत ने बताया कि भारत में संबंधित एजेंसी इस मामले को देख रही हैं और हम जल्द मामले में प्रगति देख सकते हैं।’’
चीन ने हालिया महीनों में ‘कुछ’ विदेशी छात्रों को अपने देश लौटने की अनुमति देना शुरू किया है।
पाकिस्तान के 90 छात्रों का पहला बैच 20 जून को चीन के जियान शहर पहुंचा। ये छात्र चीन के सख्त वीजा संबंधी प्रतिबंधों के कारण करीब दो साल तक घरों में ही रहे।
इसी तरह रूस और श्रीलंका समेत कुछ अन्य देशों के फंसे हुए छात्रों को धीरे-धीरे लौटने की अनुमति दी जा रही है।
भारत की ओर से बार-बार संदेशों के बाद अप्रैल में चीन ने ‘कुछ’ भारतीय छात्रों की वापसी की अनुमति देने पर सहमति जताई थी और यहां भारतीय दूतावास से वापस आना चाह रहे छात्रों की जानकारी एकत्रित करने को कहा था।
चीन की आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, चीन के कॉलेजों में 23,000 से अधिक भारतीय छात्र पढ़ रहे हैं। 12,000 से अधिक भारतीय छात्रों ने वापसी की इच्छा प्रकट की है और उनकी जानकारी आगे की प्रक्रिया के लिए चीन की सरकार को भेज दी गयी है।
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